सम्पादकीय

बेहाल बंगलुरु

Subhi
9 Sep 2022 5:40 AM GMT
बेहाल बंगलुरु
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सिलिकान वैली या फिर पेरिस कहा जाने वाला देश का तीसरा महानगर और सवा करोड़ की आबादी वाला बंगलुरु शहर आज भीषण बाढ़ से जूझ रहा है। बढ़ती आबादी, बढ़ते कंक्रीट के जंगल, जल निकासी के उचित प्रबंधों का न होना और प्रशासन की उदासीनता इसका मुख्य कारण है। यह हाल सिर्फ बंगलुरु का नहीं, बल्कि देश के अन्य महानगरों का भी है।

Written by जनसत्ता: सिलिकान वैली या फिर पेरिस कहा जाने वाला देश का तीसरा महानगर और सवा करोड़ की आबादी वाला बंगलुरु शहर आज भीषण बाढ़ से जूझ रहा है। बढ़ती आबादी, बढ़ते कंक्रीट के जंगल, जल निकासी के उचित प्रबंधों का न होना और प्रशासन की उदासीनता इसका मुख्य कारण है। यह हाल सिर्फ बंगलुरु का नहीं, बल्कि देश के अन्य महानगरों का भी है।

अंधाधुंध शहरीकरण की वजह से झीलों, तालाबों और नालियों पर भी अवैध निर्माण हो चुका है। या तो इन पर अवैध निर्माण कर लिया गया या कूड़े के पहाड़ खड़े कर दिए गए हैं। यही हाल दिल्ली, मुंबई ,चेन्नई और हैदराबाद जैसे बड़े महानगरों का भी है। बंगलुरु शहर के पाश इलाके इलेक्ट्रानिक सिटी में, जहां बहुराष्ट्रीय कंपनियां कार्यरत हैं, वहां भी पानी घुस गया।

देश के आइटी हब कहलाने वाले इस शहर में कुव्यवस्था से तंग आकर कहीं बड़ी कंपनियां पलायन न करने लगें। इस बात पर गहराई से विचार करने की जरूरत है। आज देश के सभी महानगरों में पानी निकासी के उचित प्रबंधों पर विचार करने की सख्त जरुरत है।

हाल ही में राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की ओर से जारी रिपोर्ट 'क्राइम इन इंडिया, 2021' के मुताबिक भारत में महिला के खिलाफ अपराध में 15 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। वहीं महिला अपराध दर में 54 फीसद से बढ़कर 64 फीसद की वृद्धि हुई है। अपराध के दर्ज मामले में घरेलू हिस्सा सर्वाधिक है। भारतीय समाज में महिलाओं को देवी के रूप में पूजा जाता है।

जहां स्त्री की पूजा होती है, वहीं देवता का निवास होता हैं की उक्ति सभी बोलते रहते हैं। मगर आजादी के अमृत महोत्सव काल में जब महिला अपराध के ऐसे मामले आते हैं तो यह सवाल उठता है कि फिर अपराध में इस कदर वृद्धि क्यों? शायद प्राचीन काल से समाज में व्याप्त पितृसत्तात्मक शासन, पारंपरिक प्रथाएं, जिसमें पुरुष शादी के बाद उस पर अपना अधिकार समझने लगता है।

एक मुख्य वजह न्यायापालिका में अपराध के मामलों का लंबित रहना भी है। महिला के खिलाफ अपराध पर काबू पाने के लिए सजा के साथ-साथ रोकथाम पर जोर दिया जाए। केवल कानून बनाने का फायदा नहीं। उसे जमीनी स्तर पर लागू किया जाए।


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