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बीते सप्ताह मैं एक रेस्तरां में बैठा डॉ. केली हार्डिंग की किताब ‘द रैबिट इफेक्ट
एन. रघुरामन का कॉलम:
बीते सप्ताह मैं एक रेस्तरां में बैठा डॉ. केली हार्डिंग की किताब 'द रैबिट इफेक्ट : लिव लॉन्गर, हैप्पीयर एंड हेल्दीयर विद ग्राउंडब्रेकिंग साइंस ऑफ काइंडनेस' पढ़ रहा था। रेस्तरां का दरवाजा शीशे का था। कुछ मिनटों में एक युवा जोड़ा अपनी बच्ची के साथ आया। बच्ची ने शायद हाल ही में दौड़ना सीखा था और चलते-दौड़ते समय चिल्लाना उसके लिए नया खेल बन गया था। चूंकि बच्ची शोर कर रही थी, इसलिए मैंने पढ़ना छोड़ दिया और उसे मजे से चलते देखने लगा।
बच्ची माता-पिता के साथ रेस्तरां के दूसरे कोने की तरफ जाते समय हर कदम धप्प से रख रही थी, जैसे उसने कोई जंग जीत ली हो। अचानक उसने मां से हाथ छुड़ाया और शीशे के दरवाजे की ओर दौड़ पड़ी। डोरमैन का ध्यान दरवाजे पर नहीं था। बच्ची को दौड़ता देख मां जोर से चीखी। अगर मैंने उसे समय रहते नहीं उठा लिया होता तो यकीनन उसका सिर सीधे दरवाजे से जा टकराता। बच्ची की मां ने इसके लिए मुझे शुक्रिया कहा और बच्ची को मुझे चूमने को कहा।
अगर आपमें से कोई मेरी जगह होता तो वह भी ऐसा ही करता। उसके बाद अगले तीन दिनों तक बच्ची का चेहरा मुझे याद आता रहा, जिससे मुझे अपने भीतर अच्छा महसूस होता रहा। डॉ. हार्डिंग की किताब में भी यही लिखा था कि- 'नेकी केवल एक खुश चेहरा दिखाने वाली इमोजी भर नहीं होती, जैसा कि अपनी पोस्ट्स में ढेर सारी वैसी इमोजी डाल देने वाले बहुत सारे सोशल-मीडिया यूजर्स को लगता है।'
हमारे पुरखे जानते थे कि अगर लोग हजारों साल तक समुदायों में रहकर विकसित हो सके तो उसके पीछे अनेक अहम कारणों में नेकी भी थी। किताब में केली यह भी कहती हैं कि 'अपने लिए कुछ करने के बजाय किसी और के लिए कोई अच्छा काम करने से न केवल आपका मूड अच्छा होता है, बल्कि इससे तनाव भी कम होता है।'
लेकिन आज के समय में अनेक कारणों से नेकी की घटनाएं धीरे-धीरे कम होती जा रही हैं और हम देखते हैं कि अकसर ऑनलाइन रहने वाले युवाओं में तनाव का स्तर बढ़ रहा है। ऐसे युवा ऑनलाइन रहते हुए कैसे नेकी दिखला सकते हैं, इसके तीन उपाय ये रहे:
किसी भी सोशल पोस्ट पर बहुत जल्द प्रतिक्रिया न दें : यह बहुत जरूरी है कि आप दूसरों के साथ कैसे बर्ताव करते हैं। कोई भी पोस्ट या कमेंट पढ़ने के बाद गौर से देखें कि आपके भीतर कौन-सा विचार आया है। अपने पैटर्न्स पर ध्यान दीजिए। अगर किसी का कमेंट निगेटिव है और इसलिए आप भी निगेटिव कमेंट कर रहे हैं तो इसका मतलब है कि आप दूसरों के प्रभाव में हैं। थोड़ी देर रुकें। जल्दबाजी से तनाव बढ़ता है। सोशल मीडिया पर जल्दबाजी करने से बचें।
दूसरों के नजरिए से देखें : किसी भी स्थिति को हमेशा दूसरों के नजरिए से देखने की कोशिश करनी चाहिए। सोचें कि उन्होंने जो पोस्ट किया है, उसका क्या कारण रहा होगा। अगर आप उस पोस्ट को मानवीय नहीं पा रहे हैं तो बेहतर होगा उससे खुद को दूर कर लें।
नेक आदतें डालें : नियमित किसी ऐसे दोस्त को फेसबुक मैसेज भेजें, जो मुश्किल दौर से गुजर रहा है, या इंस्टाग्राम फीड पर किसी व्यक्ति को एक अच्छा और सच्चा कॉम्प्लिमेंट दें, या किसी सुपरिचित व्यक्ति को ट्वीट करें कि आपको उनकी किताब या स्पीच अच्छी लगी है। फिर बदलाव देखें। याद करें कि कपिल शर्मा शो में 'पोस्ट का पोस्टमार्टम' सेक्शन कैसे आपको मुस्कराने पर मजबूर कर देता है।
फंडा यह है कि ऑनलाइन हों या ऑफलाइन, एक नेक व्यक्ति बनना और किसी को ठेस पहुंचाए बिना हंसी-मजाक करना आपकी सेहत के लिए अच्छा होता है और आप तनाव से मुक्त रहते हैं।
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