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सम्पादकीय
पंजाब में गेहूं खरीद लक्ष्य के पीछे, फरवरी-मार्च की चिलचिलाती गर्मी जिम्मेदार
Gulabi Jagat
5 May 2022 1:23 PM GMT
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फरवरी-मार्च की चिलचिलाती गर्मी जिम्मेदार
एस एस धालीवाल |
राज्य के खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक पंजाब सरकार की गेहूं खरीद (Wheat Procurement) 15 सालों के लक्ष्य से नीचे गिर गई है. 2 मई तक गेहूं की कुल खरीद 99.15 लाख मीट्रिक टन थी. इसमें से सरकारी एजेंसियों को 93.67 एलएमटी गेहूं प्राप्त हुआ. निजी स्रोत (प्राइवेट सोर्स) की खरीद बढ़कर 5.48 लाख मीट्रिक टन हो गई. सरकार ने 130 से 135 लाख मीट्रिक टन खरीद का लक्ष्य तय किया था. राज्य सरकार सप्ताह के अंत तक खरीद प्रक्रिया को बंद कर देगी क्योंकि अनाज मंडियों में गेहूं की आवक लगभग बंद हो गई है.
खरीद के अंत में आंकड़ा 105 एलएमटी की सीमा तक जाने की संभावना है जो निर्धारित लक्ष्य से 30 प्रतिशत कम है. पिछले साल खरीद 132.10 लाख मीट्रिक टन थी. हालांकि पंजाब ने पिछले साल की तरह गेहूं उत्पादन में केंद्रीय पूल में अपने योगदान में शीर्ष स्थान हासिल किया है. पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश जैसे गेहूं उत्पादक राज्यों द्वारा केंद्रीय पूल में कुल योगदान लगभग 200 एलएमटी होगा. एक तरह से पंजाब राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के लिए फिर से बड़ा मददगार बनकर उभरा है. उत्तर और मध्य भारत के लगभग सभी गेहूं उत्पादक राज्यों में इस साल गेहूं की पैदावार में बड़ी गिरावट देखी गई है. फरवरी और मार्च के महीने में तापमान में अचानक हुई वृद्धि से गेहूं की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है.
गेहूं के उत्पादन में भारी गिरावट के लिए ग्लोबल वार्मिंग जिम्मेदार
विशेषज्ञों (एक्सपर्ट) ने देश में गेहूं के उत्पादन में भारी गिरावट के लिए ग्लोबल वार्मिंग को जिम्मेदार ठहराया है. किसानों ने कुल फसल उत्पादन में लगभग 18-20 प्रतिशत कमी की शिकायत की है. केंद्र ने सिकुड़े अनाज की मात्रा की जांच के लिए अपनी टीमों को पंजाब और हरियाणा भेजा था. इन टीमों ने किसानों की बातों की पुष्टि की है. अनाज की मात्रा का दोबारा मूल्यांकन करने के लिए केंद्र सरकार फिर से अपनी टीमें भेज रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि तापमान में तेज बदलाव के साथ मौसम अप्रत्याशित होता जा रहा है जिसके चलते फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व निदेशक डॉ नवतेज सिंह बैंस का कहना है कि सभी फसलों और पौधों का अपना एक कम्फर्ट जोन होता है. "यदि तापमान कम्फर्ट जोन से ज्यादा बढ़ जाता है तो यह फसलों को प्रभावित करने लगता है जैसे गेहूं की फसल प्रभावित हुई." उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत की तुलना में उत्तर और मध्य भारत में तापमान में अचानक बदलाव जाता होता है. किसी विशेष क्षेत्र के लिए सभी फसलों का चयन उस क्षेत्र के औसत तापमान के आधार पर किया जाता है. बैंस ने कहा गेहूं की फसल तापमान में मामूली बदलाव झेल सकती है लेकिन एक लिमिट से ज्यादा नहीं जैसा कि इस साल फरवरी और मार्च में हुआ.
केंद्र सरकार का लक्ष्य इस साल 444 एलएमटी गेहूं की खरीद का था
केंद्र सरकार का लक्ष्य इस साल 444 एलएमटी गेहूं की खरीद का था. हालांकि खरीद बहुत नीचे 200 एलएमटी होने की संभावना है जो निर्धारित लक्ष्य से लगभग आधी है. मध्य प्रदेश ने 129 एलएमटी के अपने लक्ष्य के मुकाबले अब तक केंद्रीय पूल में 34 एलएमटी का योगदान दिया है और हरियाणा ने 85 एलएमटी के अपने लक्ष्य के मुकाबले अब तक 37 एलएमटी का योगदान दिया है. 2020-21 में केंद्रीय पूल में 129.42 एलएमटी गेहूं का योगदान देकर मध्य प्रदेश ने पंजाब को पछाड़कर पहले स्थान पर कब्जा किया था. उस साल पंजाब का योगदान 127.14 लाख टन रहा था. 1980-81 के बाद से केंद्रीय पूल में पंजाब के गेहूं का योगदान कभी भी 35 प्रतिशत से कम नहीं रहा है.
माना जा रहा है कि निजी व्यापारियों ने निर्यात के लिए एमपी और यूपी जैसे राज्यों से गेहूं का भारी स्टॉक खरीदा है. हालांकि पंजाब में निजी व्यापारियों ने लगभग 5.5 एलएमटी गेहूं खरीदा जो अब तक अनाज मंडियों में पहुंचे गेहूं का लगभग 5 प्रतिशत है. सरकार के पास पहले से ही अपने बफर स्टॉक में लगभग 190 लाख एलएमटी गेहूं (यदि इस साल का स्टॉक शामिल किया जाता है तो कुल मिलाकर लगभग 400 एलएमटी) है. बफर स्टॉक की अनिवार्य आवश्यकता 74 एलएमटी है.
हालांकि केंद्र को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत नवंबर तक गरीब और जरूरतमंद लोगों को 320 एलएमटी अनाज वितरित करना है. गरीबों और जरूरतमंदों को गेहूं बांटने के बाद गेहूं का बफर स्टॉक 74 एलएमटी के अनिवार्य आंकड़े के करीब होगा. इसलिए केंद्र अपनी PMGKAY और NFSA योजनाओं के तहत चावल के स्टॉक को खत्म करने पर फोकस कर रहा है जो केंद्रीय स्टॉक में काफी मात्रा में पड़ा हुआ है.
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