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- सेवानिवृत्ति के बाद...

वास्तव में इस संसार में सभी प्राणी स्वार्थ की वजह से ही एक-दूसरे के साथ जुड़े होते हैं तथा स्वार्थ निकल जाने के बाद वो लोग अपना मुंह फेर लेते हैं। इस स्वार्थ की दुनिया में अच्छाइयां इस प्रकार लुप्त हो जाती हैं जैसे कि समुद्र में मिलने के बाद नदियों का अस्तित्व समाप्त हो जाता है। यह बात सर्वमान्य है कि पक्षी केवल फलदार पेड़ों पर ही बैठना पसंद करते हैं, क्योंकि सूखे पेड़ों पर उन्हें खाने के लिए कुछ नहीं मिलता। यह बात भी सही है कि सेवा में रहते हुए हर व्यक्ति अपनी आंखों पर अहंकार व अहम की पट्टी इस तरह से बांध लेता है कि उसे अपने स्वार्थ के अलावा और कुछ नहीं दिखाई देता। इनसानियत की सभी हदें लांघ कर वह हैवानियत पर उतारू हो जाता है तथा मानवीय मूल्यों का तिरस्कार कर देता है। उसे पता नहीं कि सेवानिवृत्ति के बाद उससे सभी प्रकार की सुविधाएं जैसे कि घर में काम करने के लिए सरकारी कर्मचारियों की सेवाएं लेना या अन्य कई प्रकार के नौकर-चाकरों के ऊपर बिना वजह से रौब पैदा करना इत्यादि सब कुछ उससे छीन लिया जाता है तथा समय के थपेड़े बजने शुरू हो जाते हैं।
सोर्स- divyahimachal
