सम्पादकीय

beef ban in lakshadweep : लक्षद्वीप को मालदीव बनाने के ख्वाब में ये कैसी लग लग गई आग

Gulabi
28 May 2021 5:53 AM GMT
beef ban in lakshadweep : लक्षद्वीप को मालदीव बनाने के ख्वाब में ये कैसी लग लग गई आग
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देश की थल सीमा का सबसे दक्षिणतम बिंदु लक्षद्वीप समूह अपने खूबसूरत समुद्र तटों के लिए जाना जाता है

देश की थल सीमा का सबसे दक्षिणतम बिंदु लक्षद्वीप समूह अपने खूबसूरत समुद्र तटों के लिए जाना जाता है. देश का संभवतः एकमात्र समुद्री किनारा है जहां पानी नीला दिखता है. अपने प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर लक्षद्वीप भारत के दक्षिण-पश्चिम किनारे पर स्थित अद्वितीय और आकर्षक द्वीप-समूह केरल के लोगों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ा हैं . केरल की खूबसूरती को विस्तार देता इस द्वीप का प्राकृतिक सौंदर्य, स्वच्छ वातावरण, चारों ओर समुद्र पर्यटकों को बरबस अपनी तरफ आकर्षित करता है. तलछट पर तैरती रंगीन मछलियां इसकी सुंदरता में चार चांद लगा देती हैं. यह द्वीप देश का इकलौता मूँगा द्वीप हैं. जो दूसरे द्वीप समूहों से इसे अलग किस्म की विशिष्टता प्रदान करती है. आप यह सोच सकते हैं कि देश में लक्षद्वीप समूह और अंडमान निकोबार जैसे इतने सुंदर द्वीप समूहों के होने के बावजूद हम सिंगापुर , बाली और मालदीव क्यों जाते हैं. दरअसल ये भारत का दुर्भाग्य रहा कि प्राचीन काल में हम बंद धार्मिक मान्यताओं के चलते समुद्र तटों को पार करने से चूक गए और हमारे पास में स्थित ऑस्ट्रेलिया जैसे महाद्वीप पर सात समुंदर पार से अंग्रेज आए और अपने कब्जे में ले लिए. इसी तरह आजादी के बाद बंद आर्थिक नीतियों के चलते हमारी आंखों के सामने थाईलैंड, बाली, इंडोनेशिया, दुबई , सिंगापुर , मालदीव जैसे द्वीपों ने अपनी अर्थव्यवस्था को दुनिया भर के लिए खोल दिया और तेजी से आर्थिक विकास कर के ये प्रगति के द्वीप बन गए. हमारे द्वीप आज भी जल-जंगल और जमीन के संघर्ष में डूबे हुए हैं.

लक्षद्वीप में सारा विवाद विकासवादियों बनाम गैरविकासवादियों का ही है जिसे प्रशासक प्रफुल पटेल की जल्दीबाजी और उनके बैकग्राउंड ने सांप्रदायिक रूप अख्तियार कर लिया है. दूसरी ओर मौके की ताक में बैठे केरल के यूडीएफ और एलडीएफ जैसे दलों ने मामले को लपक लिया. विवाद में हिंदू-मुसलमान का एंगल देखते ही 70 हजार नागरिकों का मामला 140 करोड़ लोगों पर भारी पड़ गया. कांग्रेस नेता राहुल गांधी, शशि थरूर और एनसीपी नेता शरद पवार वगैरह ने मिलकर लक्षद्वीप के डिवलपमेंट के मुद्दे को राष्ट्र की सबसे बड़ी समस्या बना दिया है.
मालदीव बनाने की तैयारी
एक मीडिया रिपोर्ट में लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल पटेल कहते हैं कि आज देश के लोग मालदीव जाने का इंतजार कर रहे हैं पर लक्षद्वीप कोई भी नहीं आना चाहता. वो कहते हैं कि इस द्वीप पर पर्यटन के विकास के लिए ही एलडीएआर ( लक्षद्वीप डिवलेपमेंट अथॉरिटी रेग्युलेशन) को लाया गया है. नीति आयोग चाहता है कि यह द्वीप समूह दक्षिण एशिया के प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सके. नीति आयोग के एक रिपोर्ट के अनुसार यहां के 6 द्वीपों में 1092 होटल रूम बनाने की तैयारी है. कावर्ती को स्मार्ट सिटी के रूप में भी विकसित करने की योजना है. हाल ही में यूटी गवर्नमेंट ने सरकारी इमारतों के लिए टेंडर निकाले हैं. अहमदाबाद बेस्ड वकील आनंद याज्ञनिक का दावा है कि एलडीएआर एक्ट प्रशासक को वैसे ही अधिकार देता है जैसे अधिकार ढोलेरा प्रशासन को स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के निर्माण के लिए मिल गया था. एलडीएआर एक्ट के प्रावधानों से स्थानीय प्रशासन को स्थानीय जमीन को अधीग्रहीत करने और विकसित करने का अधिकार मिल जाए.
प्रशासक पटेल का बैकग्राउंड
2011 की जनगणना के अनुसार, लक्षद्वीप की कुल आबादी में 96 प्रतिशत इस्लाम धर्म को मानने वाले हैं. इसलिए आग में घी डालने वालों को मिल गया प्रफुल पटेल की राजनीतिक पृष्ठिभूमि. दरअसल पटेल गुजरात से आते हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के करीबियों में गिने जाते हैं. जब अमित शाह गुजरात के गृहमंत्री थे और इशरतजहां केस में सीबीआई द्वारा आरोपी बनाए जाने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था, तब उनकी कुर्सी प्रफुल पटेल को ही मिली थी. इसी कारण ऐसा माना जाता है कि वे संघ के अजेंडे पर काम कर रहे हैं.
जो बातें स्थानीय लोगों को पसंद नहीं आ रही हैं
पटेल द्वारा बनाए गए एलडीएआर कानूनों के 3 प्रावधान ऐसे हैं जिनका विरोध स्थानीय मुस्लिम जो कुल आबादी के 97 परसेंट हैं कर रहे हैं. उनको ऐसा लगता है कि उन्हें टार्गेट रखकर ही एलडीएआर के कुछ नियम बनाए गए हैं. देश के कई हिस्सों में आज बीफ बेचने और खाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है. विशेषकर जिस राज्य से लक्षद्वीप का सबसे नजदीकी संबंध है वो केरल है. लक्षद्वीप का हाइकोर्ट भी केरल में ही है और यहां की भाषा भी मलयाली है जो केरल की भी भाषा है. इसलिए यहां के लोग भावनात्मक रूप से केरल से जुड़े हुए हैं. केरल में बीफ पर प्रतिबंध नहीं है. इसी तरह यहां शराब पर अब तक प्रतिबंध था जिसे नए अधिनियम में हटा लिया गया है. इसे भी धार्मिक चश्मे से ही देखा जा रहा है. और 2 बच्चों से अधिक बच्चे होने पर स्थानीय चुनाव लड़ने से रोक लगाने वाले नियम को भी लोगों ने दिल पर ले लिया है. हालांकि प्रफुल पटेल के अपने तर्क हैं. उनका कहना है कि द्वीप समूह में पहले से अवैध शराब की बिक्री हो रही है और रोक हटने से अच्छी क्वालिटी की शराब लोगों को मिल सकेगी. उनका कहना है कि टूरिज्म डिवेलपमेंट के लिए भी यह जरूरी है. 2 बच्चों का विधान देश के करीब हर राज्य में लागू हो चुका है . इसके विरोध का कोई आधार नहीं है. यही तर्क उनका बीफ पर रोक लगाने के संबंध में भी है कि पूरे देश में कुछ जगह ही ऐसी रह गई हैं जहां बीफ पर रोक नहीं है. पर बीफ की बिक्री रोकने को लेकर पटेल का तर्क लोगों के गले नहीं उतर रहा है. आखिर जब देश में गोवा, केरल, असम और नॉर्थ ईस्ट के अन्य राज्यों में बीफ पर रोक नहीं लगी है तो अचानक लक्षद्वीप में यह बैन लगाने की पीछे लोगों को उनकी मंशा पर शक हो जाता है.
चौथा सबसे बड़ा विरोध पीएएसए ( परवेंशन ऑफ एंटी सोशल एक्विविटीज एक्ट) को लेकर है. इसको लेकर गुरुवार को स्थानीय प्रशासन ने स्पष्ट किया कि चूंकि हम इस द्वीप को समग्र रूप से विकसित करने की योजना बना रहे हैं तो हम कानून और व्यवस्था के मोर्चे पर समझौता नहीं कर सकते है. लक्षद्वीप बहुत शांत है पर जब अचानक पर्यटन संबंधी गतिविधियां बढ़ेंगी तो ऐसै मामले बढ़ने की संभावना बहुत तेजी से बढ़ जाती है. दुनिया में कई ऐसे टुरिस्ट प्लेस हैं जो चाइल्ड सेक्स, ड्रग आदि के बदनाम हो जाते हैं.
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