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नवभारत टाइम्स: नागरिक उड्डयन क्षेत्र की नियामक एजेंसी डीजीसीए ने एक बजट एयरलाइंस को अपनी उड़ानें 50 फीसदी तक सीमित रखने का निर्देश दिया है। यह निर्देश उस एयरलाइंस के विमानों में पाई गई तकनीकी गड़बडियों की घटनाओं और स्पॉट चेकिंग के दौरान पाई गई कमियों के मद्देनजर जारी की गई है। पिछले कुछ समय से एक के बाद एक आती विभिन्न एयरलाइंस के विमानों में तकनीकी गड़बड़ियों की खबरों से हवाई यात्रा की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं। इसी सप्ताह नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लोकसभा को बताया कि 1 जुलाई 2021 से 30 जून 2022 की एक साल की अवधि में ऐसे 478 मामले दर्ज किए गए। इन बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर उड्डयन क्षेत्र की नियामक एजेंसी डीजीसीए ने पिछले दिनों स्पॉट चेक की प्रक्रिया शुरू की जिससे रखरखाव की समस्या की बात सामने आई। डीजीसीए के मुताबिक कई मामलों में ऐसा पाया गया कि विमान में जो गड़बड़ियां थीं उनके कारणों की सही पड़ताल नहीं हो पाई। साफ है कि एयरलाइंस में अच्छी तरह प्रशिक्षित, कुशल और अनुभवी स्टाफ की कमी है। डीजीसीए ने एयरलाइंस से सेफ्टी प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन सुनिश्चित करके 28 जुलाई तक रिपोर्ट देने को कहा था। डीजीसीए के मुताबिक एयरलाइंस ने उन गड़बड़ियों को ठीक कर लिया है। लेकिन गौर करने की बात है कि डीजीसीए ने जिस दिन आदेश जारी किया था उसके अगले ही दिन तकनीकी गड़बड़ियों के दो और मामले सामने आ गए। इसमें हैरत की कोई बात नहीं है क्योंकि यह स्थिति न तो दो दिन में बनी है और न रातोरात ठीक की जा सकती है।
आखिर भारत में 2010 से ही स्टेट सेफ्टी प्रोग्राम है जिसके तहत एयर सेफ्टी से जुड़ी सारी गाइडलाइन अच्छी तरह परिभाषित हैं। डीजीसीए के सेफ्टी ऑडिट भी नियमित तौर पर चलने वाली प्रक्रिया का हिस्सा हैं। इसलिए नियामक और एयरलाइंस के बीच संवाद भी बना ही रहता है। ऐसे में तकनीकी गड़बड़ियों की शिकायतों में इस कदर इजाफा समझ में नहीं आता है। निश्चित रूप से यह समस्या गंभीर है और इस पर लगातार काम करने की जरूरत है। बहरहाल, उड्डयन काफी संभावनाशील क्षेत्र माना जा रहा है। एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के मुताबिक 2027-28 तक पैसेंजर फ्लो 54 करोड़ से ऊपर चले जाने की उम्मीद है। यह कितनी बड़ी बढ़ोतरी है इसका अंदाजा हमें तब होता है जब यह देखते हैं कि महामारी से पहले पैसेंजर फ्लो 20 करोड़ था। सरकार भी अपने स्तर पर इस क्षेत्र को आगे बढ़ने में सहयोग दे रही है चाहे मामला कोविड के बाद सीटों की संख्या बढ़ाने की हो या डोमेस्टिक मेनटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉलिंग पर जीएसटी रेट 18 फीसदी से 5 फीसदी करने की। मगर ये संभावनाएं तभी फलित हो सकती हैं जब उड़ानों की सुरक्षा के मोर्चे पर लोग पूरी तरह आश्वस्त महसूस करेंगे। इसीलिए एयरलाइंस हो या डीजीसीए इस मुद्दे पर किसी तरह की रियायत नहीं दी जा सकती।