- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- कथनी जैसी ही हो करनी
x
By NI Editorial
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालतें स्वतंत्रता की "लोकपाल" हैं और उसका संरक्षण उनका "पावन कर्तव्य" है। तो फिर ये सवाल उठेगा कि क्या आज अदालतें अपने इस "पावन कर्तव्य" को निभा रही हैं?
सुप्रीम कोर्ट से यह अपेक्षा नहीं रहती कि वह क्या अपेक्षित है, यह देश को बताए। बल्कि उम्मीद यह रहती है कि जो अपेक्षित है, उस पर अमल के लिए वह सरकार को मजबूर करे। भारतीय संविधान ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट को पूर्ण सक्षम बनाया है। अगर कानून नहीं है, तब भी सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 140 का उपयोग कर संविधान की मूल भावना के अनुरूप आदेश जारी कर सकता है। मगर हाल में रुझान यह है कि जज कोर्ट रूम के अंदर और बाहर भी अपनी टिप्पणियों में संवैधानिक भावना का उल्लेख करते हैँ। वे उसके उल्लंघनों का भी कभी-कभार जिक्र करते हैं। लेकिन जब बारी फैसला देने की आती है, तो लोगों की आशा पूरी नहीं होती। सुप्रीम कोर्ट की इस हफ्ते की गई एक खास टिप्पणी भी संभवतः इसी सिलसिले का हिस्सा है। देश की जेलों में विचाराधीन कैदियों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र पुलिस तंत्र जैसा नहीं लगना चाहिए, क्योंकि दोनों एक दूसरे के विरोधी हैं। बिल्कुल सही बात है।
लेकिन क्या सुप्रीम कोर्ट इस बात से परिचित नहीं है कि देश धीरे-धीरे पुलिस तंत्र में बदलता जा रहा है? और इसकी एक वजह यह भी है कि पुलिस तंत्र की भावना से हुई कार्रवाइयां जब सुप्रीम कोर्ट पहुंचती हैं, तो अदालत उसमें न्याय को लटका देता है? अदालत ने कहा कि गिरफ्तारी अपने आप में एक कठोर कदम है, जिसका कम इस्तेमाल किया जाना चाहिए। पुलिस अफसर को सिर्फ इसलिए किसी को गिरफ्तार कर लेने का अधिकार नहीं है क्योंकि उसे लगता है कि गिरफ्तार कर लिया जाना चाहिए। गिरफ्तारी की कुछ शर्तें होती हैं और उनका पूरा होना आवश्यक है। अदालत ने आम लोगों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने में अदालतों की भूमिका पर जोर दिया। कहा कि अदालतें इस स्वतंत्रता की "लोकपाल" हैं और उसका "पूरे उत्साह से" संरक्षण करना उनका "पावन कर्तव्य" है। तो फिर वही प्रश्न उठेगा कि आखिर ये धारणा क्यों बनती जा रही है कि अदालतें अपने इस "पावन कर्तव्य" को नहीं निभा रही हैं? अब अपेक्षित यह है कि अदालतें इस बारे में आत्म-निरीक्षण करें। वरना, ऐसी बातें निरर्थक-सी महसूस होने लगेंगी।
Tagsbe like saying
Gulabi Jagat
Next Story