सम्पादकीय

जीवन में रोमांच लाने के लिए कभी कुछ समय के लिए बच्चों के साथ बच्चे बन जाएं

Gulabi
10 March 2022 8:21 AM GMT
जीवन में रोमांच लाने के लिए कभी कुछ समय के लिए बच्चों के साथ बच्चे बन जाएं
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मुकद्दर का सिकंदर होना सब चाहते हैं, लेकिन सिकंदर का मुकद्दर क्या था, कभी यह जानने की कोशिश भी की जाए
पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:
मुकद्दर का सिकंदर होना सब चाहते हैं, लेकिन सिकंदर का मुकद्दर क्या था, कभी यह जानने की कोशिश भी की जाए। अपने अंतिम समय में सिकंदर बड़ा परेशान हो गया था। दुनिया जिसकी मुट्ठी में थी, समय आया तो पैरों के नीचे से जिंदगी कब फिसल गई, समझ ही नहीं पाया। हम सब कहीं न कहीं सिकंदर बनने के चक्कर में हैं।
हमारी महत्वाकांक्षा हमें उड़ाए ले जा रही है। ऐसे समय एक प्रयोग करिए कि जो भी करें, करते समय वैसे ही हो जाएं। जैसे बच्चों के साथ खेलें तो कुछ समय के लिए बच्चे बन जाएं, घर में हों तो परिवार के बनकर रहें और जब नौकरी-धंधे में रहें तो पूरी तरह कर्मयोगी हो जाएं। पिछले दिनों एक गांव में कथा के दौरान मेरी मुलाकात आयोजक परिवार की तीन बच्चियों से हुई जो कॉलेज स्तर पर ऊंची पढ़ाई कर रही थीं।
खासियत यह थी कि उनकी योग्यता पर उनकी महत्वाकांक्षा जरा भी हावी नहीं हुई थी। जब मैंने पूछा कि शिक्षा के क्षेत्र में इतनी आगे बढ़ गई हो तो यहां गांव में रहना कैसा लगता है? इस पर उनका उत्तर बड़ा आध्यात्मिक था। तीनों का कहना था हम जीवन में जो हो रहा है, उसे होने देती हैं। वे तीनों बेफिक्र तो थीं, उदासीन भी थीं। उनकी उदासीनता का अर्थ था न किसी की उपेक्षा, न किसी से अपेक्षा। तो शिक्षा जीवन में तनाव का कारण न बने, इसके लिए भीतर थोड़ा संतोष भी जगाते रहिए..।
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