सम्पादकीय

फ्रांस में सिद्धांत की लड़ाई

Gulabi
22 Oct 2020 3:14 AM GMT
फ्रांस में सिद्धांत की लड़ाई
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फ्रांस ने अपने धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत की रक्षा के लिए जंग छेड़ दी है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। फ्रांस ने अपने धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत की रक्षा के लिए जंग छेड़ दी है। इस लड़ाई में सरकार और फ्रांस की बहुसंख्यक जनता एक साथ हैं। पिछले दिनों राजधानी पेरिस समेत फ्रांस के कई शहरों में लोग प्रदर्शन करने निकले हैं। उनके हाथों में तख्तियां रही हैं जिस पर लिखा गया- "नो टू टोटैलिटेरियनिज्म थॉट (सर्वाधिकारवाद का विचार अस्वीकार्य है)।" फ्रांस के प्रधानमंत्री ज्यां कास्टेक्स भी इन प्रदर्शनों में शामिल हुए हैं। उन्होंने एक संदेश में कहा- "तुम हमें डरा नहीं सकते। हम नहीं डरते। तुम हमें बांट नहीं सकते। हम फ्रांस हैं।" प्रदर्शन कर रहे लोगों में से कुछ ने "आई एम सैमुएल" का भी नारा लगाया है। सैमुएल पैटी हाल में एक इस्लामी चरमपंथी के हमले का शिकार बने थे। 2015 में जब इस्लामी बंदूकधारियों ने शार्ली हेब्दो पत्रिका के दफ्तर पर हमला कर 12 लोगों की हत्या कर दी थी। तब "आई एम शार्ली" का नारा बुलंद हुआ था। 2015 में हुए इस हमले से इस्लामी हिंसा तेज हो गई थी। तब फ्रांस में इस बात पर बहस शुरू हुई कि एक धर्मनिरपेक्ष समाज में इस्लाम की स्थिति क्या हो। पत्रिका पर हमले के बाद पेरिस के प्लास दे ला रिपब्लिक पर 15 लाख से ज्यादा लोग प्रदर्शन करने जमा हुए थे। पेरिस में इस बार भी प्रदर्शन की मुख्य जगह वही रही है।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों ने कट्टरपंथी इस्लाम के ऑनलाइन दुष्प्रचार को रोकने के लिए तुरंत और "ठोस कार्रवाई" करने का आदेश दिया है। मैक्रों ने कहा कि गणराज्य व्यवस्था का विरोध आयोजित करने वालों को कोई राहत नहीं मिलेगी। राष्ट्रपति के दफ्तर ने कहा है कि हमले का समर्थन करने वाले हर शख्स के खिलाफ कार्रवाई होगी। हालांकि इसके बारे में और ब्योरा नहीं दिया गया। इस बीच फ्रांस की पुलिस ने दर्जनों इस्लामी "उग्रवादियों" के ठिकानों पर छापे मारे हैं। फ्रांस के गृह मंत्री ने बताया है कि फ्रांस में ऑनलाइन नफरत फैलाने के खिलाफ 80 मामलों की जांच चल रही है। अधिकारी इस बात की पड़ताल कर रहे हैं कि क्या किसी फ्रेंच मुस्लिम संगठन को इन आरोपों के लिए दोषी माना जा सकता है या नहीं। सैमुएल पैटी पिछले हफ्ते जब स्कूल से अपने घर लौट रहे थे तभी उनकी हत्या कर दी गई थी। उनकी हत्या करने वाले 18 साल के चेचेन मूल के अब्दुल्लाख अनजोरोव की पुलिस कार्रवाई में मौत हुई। इस घटना ने एक बार फिर फ्रांस को झकझोर दिया है।

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