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- संकट की जंग
Written by जनसत्ता: यूक्रेन पर हमले रोकने के लिए रूस ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के आदेश की अनदेखी कर अपनी हठधर्मिता ही दिखाई है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के आदेश के बावजूद यूक्रेन के शहरों पर उसकी सेना ताबड़तोड़ हमले कर रही है। रोजाना बेगुनाह नागरिक मारे जा रहे हैं। बुधवार को रूसी सेना ने एक थिएटर को निशाना बनाया। यहां सैकड़ों लोगों ने पनाह ले रखी थी। यूक्रेन को तबाही से बचाने के लिए ही दो हफ्ते पहले यूक्रेन ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और कहा था कि वह दखल देकर रूस को हमले करने से रोके। अपनी दलील में यूक्रेन ने कहा था कि रूस ने उस पर एक क्षेत्र विशेष में नरसंहार का आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ जंग छेड़ दी है।
इसलिए हमले रोकने की खातिर रूस पर दबाव बनाया जाना चाहिए। हालांकि मौजूदा हालात में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय बहुत कुछ कर पाने की स्थिति में है, ऐसा लगता नहीं है। रूस पर दबाव बनाने के लिए यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिविर जेलेंस्की दुनिया के कई देशों से समर्थन मांग चुके हैं। यूरोपीय संघ की संसद को संबोधित भी कर चुके हैं। हाल में उन्होंने अमेरिकी सांसदों को भी संबोधित किया। लेकिन अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का भी रूस पर कोई असर होता दिखा नहीं है।
पूरी दुनिया को ठेंगा दिखाते हुए रूस जिस आक्रामकता से यूक्रेन को रौंदता जा रहा है, उससे साफ है कि उसे अब किसी की भी परवाह नहीं। चाहे संयुक्त राष्ट्र हो, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय हो या फिर यूरोपीय देश और अमेरिका हो। फिर चीन ने जिस तरह की नीति दिखाई है, जाहिर है वह रूस के समर्थन की ही है। भारत सहित कुछ देश तटस्थ बने हुए हैं और दोनों पक्षों से शांति की अपील कर रहे हैं। खतरा ज्यादा इसलिए भी बढ़ गया है कि परमाणु हमले करने वाली सैन्य कमान को पुतिन पहले ही तैयार रहने को कह चुके हैं। हालांकि यह उतना आसान भी नहीं है।
पुतिन इस बात को भलीभांति समझते हैं कि ऐसा करना पूरी दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध में झोंकने जैसा होगा। यों इस जंग में रूस को पसीना आने लगा है। बड़ी संख्या में रूसी सैनिक मारे गए हैं। तीन हफ्ते बाद भी अगर रूसी सेना कीव पर कब्जा नहीं कर पाई है तो इससे यूक्रेन की सैन्य ताकत के साथ उसके और नागरिकों के मनोबल का भी पता चलता है। यूक्रेन की सेना भी पूरी ताकत से रूस को जवाब दे रही है। रूस को लग रहा था कि जंग कुछ ही दिनों में खत्म हो जाएगी। पर ऐसा हुआ नहीं। पुतिन इस वक्त युद्धोन्माद में डूबे हैं। ऐसे में रूस के परमाणु हथियार के इस्तेमाल करने की आशंका से कैसे इनकार किया जा सकता है?
रूस-यूक्रेन के बीच जंग का यह तीसरा हफ्ता है। रूसी मिसाइलों और बमों से यूक्रेन के कई शहर खंडहर हो चुके हैं। जान बचाने के लिए तीस लाख लोग इस देश से पलायन कर चुके हैं। कहने को रूस और यूक्रेन के बीच वार्ताओं के तीन दौर भी हो चुके हैं, लेकिन सब बेनतीजा। रूसी राष्ट्रपति एक ही जिद पर तुले हैं कि यूक्रेन किसी भी सूरत में नाटो का सदस्य नहीं बने और स्वीडन, स्विटजरलैंड जैसे देशों की तरह सीमित सेना रखे। यूक्रेन के सामने अस्तित्व का गंभीर सवाल है। यूक्रेन अगर वह रूस की इस शर्त के आगे झुक गया तो उसकी स्थिति एक गुलाम देश जैसी हो जाएगी। इसलिए यूक्रेन आसानी से हार कैसे मान ले!