सम्पादकीय

अंतरिक्ष में स्नान

Rani Sahu
5 Sep 2021 6:49 PM GMT
अंतरिक्ष में स्नान
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वैज्ञानिक अब अंतरिक्ष केंद्र में महीनों तक रहने लगे हैं, तो जाहिर है, कभी उन्हें नहाने का भी मन करेगा, लेकिन क्या वे नहा सकते हैं

वैज्ञानिक अब अंतरिक्ष केंद्र में महीनों तक रहने लगे हैं, तो जाहिर है, कभी उन्हें नहाने का भी मन करेगा, लेकिन क्या वे नहा सकते हैं? इस प्रश्न का जवाब शायद 'हां' में है। नासा की अंतरिक्ष वैज्ञानिक मेगन मैकआर्थर ने बहुत शौक से अपने बालों को शैंपू करके दुनिया को बताया ही नहीं, बल्कि वीडियो बनाकर दिखा दिया है। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र पृथ्वी की कक्षा में घूमता हुआ एक आधुनिक घर जैसा है, जहां गुरुत्वाकर्षण की स्थिति ऐसी है कि लगभग हर चीज लटकाई जा सकती है। अंतरिक्ष यान जहां खुद लटका हुआ घूम रहा है, वहीं उसके अंदर की तमाम चीजें भी लगभग हवा में हैं। यहां तक कि पानी भी यहां हवा में अटक जाता है। तो अंतरिक्ष में नहाने या शैंपू करने के लिए सबसे पहले पानी को घेरकर बचाना जरूरी है। पानी को ऐसे बचाना है, मानो अगर वह खत्म हो गया, तो जीवन संकट में आ जाएगा। अंतरिक्ष में अभी जो स्थिति है, उसमें वैज्ञानिक जो जल खर्च या उत्सर्जित करते हैं, उसे बचाते भी हैं। गंदे हुए पानी को भी साफ करके पीने लायक बनाते रहते हैं, ताकि उनके हिस्से के 70 लीटर पानी का थोड़ा हिस्सा भी बर्बाद न जाए। जहां बूंद-बूंद की चिंता है, वहां भी नहाना मुमकिन है।

रही बात अंतरिक्ष यात्री मेगन मैकआर्थर के बालों की सफाई की, तो उन्होंने ऐसा नहीं है कि पहले कुछ मग पानी से बालों को भिगोया, फिर शैंपू लगाया और उसके बाद फिर कुछ मग पानी से बालों से झाग को हटाया। मेगन ने सबसे पहले दो या तीन तरफ से कागज या कपडे़ की आड़ तैयार की और उसके बाद एक तौलिए में पानी लिया, मतलब तौलिए को भिगोया और अपने बालों को गीला किया। फिर कुछ बूंद शैंपू बालों में ठीक से लगाया और उसके बाद तौलिए के सूखे हिस्से से बालों को पोछ लिया। फिर भी कुछ बूंदें इधर-उधर चली गईं, जिनको उन्होंने तौलिए में समेट लिया, ताकि उससे पानी निचोड़कर उसे फिर से पीने लायक बनाया जा सके। दिमागी एकाग्रता के लिए बालों को अगर साफ रखना महत्वपूर्ण है, तो अंतरिक्ष में अपने हिस्से के पानी को बचाना उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है। न्यूनतम गुरुत्वाकर्षण या माइक्रोग्रैविटी में अपने बालों को साफ करके दुनिया को दिखाने वाली वह पहली महिला बन गई हैं। यह बहुत रोचक वाकया है, जिससे दूसरे अंतरिक्ष यात्रियों को भी थोड़ी राहत या खुशी का एहसास होगा।
धरती पर रहने वालों या पानी बर्बाद करने वालों को अंतरिक्ष की स्थितियों से सीखना चाहिए। बहुत कम पानी में भी जीवन संभव है। क्या धरती पर भी हर आदमी अपने हिस्से के पानी को बचा या पुनर्शोधित कर सकता है? कम से कम जिन इलाकों में पानी बहुत कम है, वहां ऐसी ही व्यवस्था एक सामयिक विचार तो है ही। दूसरी बात, अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा किए जाने वाले ऐसे प्रयोग दरअसल उन्हें लंबे अभियानों के लिए तैयार करने की प्रक्रिया का हिस्सा हैं। जब आप चंद्रमा या मंगल पर जाएंगे, तब ऐसे ही जाना पड़ेगा। बूंद-बूंद संजोते हुए। 50 वर्षीया अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री मेगन मैकआर्थर बीते अप्रैल महीने में दूसरी बार अंतरिक्ष में गई हैं। चार महीने से भी ज्यादा समय से वह अंतरिक्ष स्टेशन पर हैं, संभव है, उन्होंने पहले भी बालों को शैंपू किया हो, लेकिन इस बार उन्होंने जो शैंपू किया है, उससे अंतरिक्ष विज्ञान और विज्ञान के विद्यार्थियों को बड़ा बल मिलेगा।


Rani Sahu

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