सम्पादकीय

प्रदेश में पर्यटन की बुनियादी चुनौतियां

Rani Sahu
21 May 2023 7:05 PM GMT
प्रदेश में पर्यटन की बुनियादी चुनौतियां
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मुख्यमंत्री ने दिनांक 17 मार्च 2023 को वर्ष 2023-24 के बजट अनुमान प्रस्तुत करते हुए इस बात पर बल दिया कि हमें आज के समय की वास्तविकताओं को समझते हुए, आने वाली परिस्थितियों के दृष्टिगत विकास की अवधारणा को बदलना होगा। यह भी कहा गया कि मुख्य चुनौती सिर्फ ढांचागत विकास की ही नहीं, अपितु गुणवत्ता युक्त सेवाएं प्रदान करना भी है। हिमाचल के संदंर्भ में यदि बात की जाए तो इस बात से सभी सहमत हैं कि पर्यटन, जलविद्युत व बागवानी, ये तीनों प्रदेश के शक्ति बिंदु हैं व हिमाचल की पहचान हैं। जब से वर्तमान सरकार ने कार्य संभाला है, पर्यटन विकास को अपने ग्रोथ एजेंडा में सबसे ऊपर रखा है। स्विट्जरलैंड, सिंगापुर, मालदीव जैसे कई देश हैं, जिनकी आर्थिकी का मुख्य आधार ही पर्यटन है। उन्होंने दीर्घकालीन योजनाएं बनाकर अपने पर्यटन का विकास किया है। यद्यपि हिमाचल को अपनी नैसर्गिक सुंदरता के लिए पहाड़ों की रानी भी कहा जाता है, परंतु यह बात भी सत्य है कि इस पर्यटन रूपी हीरे को अभी तक पूरी तरह से नहीं तराशा गया है। हिमाच्छादित पहाड़, सुखद जलवायु, कल-कल बहती नदियां, हरे-भरे जंगल व सुरम्य घाटियां, नयनाभिराम ग्लेशियर, चन्द्रताल, नाको, रेणुका सी प्राकृतिक झीलेें, मनमोहक दृश्यावलियां बरबस ही पर्यटकों को आह्लादित करती हैं।
शिमला, डलहौजी, मनाली, धर्मशाला, मैकलोडगंज, कसोल, काजा, खजियार, सांगला घाटी, पराशर, कुफरी आदि उल्लेखनीय दर्शनीय स्थल हैं। इस वर्ष के बजट में पर्यटन विकास पर विशेष बल दिया गया है जिसके अंतगर्त हैलीपोटर््स का विकास, हैलीटैक्सी का संचालन व कांगड़ा जिले में अंतरराष्ट्रीय स्तर का गोल्फ कोर्स, आइस स्केटिंग व रोलर स्केटिगं रिंक का निर्माण, पर्यटन गांव की स्थापना तथा पौंग डैम में वॉटर स्पोटर््स, शिकारा, क्रूज व यॉट आदि की व्यवस्था करना शामिल है। हिमाचल के विभिन्न पर्यटन स्थलों के अपने व्यक्तिगत अनुभवों के आधार पर तथा एक पर्यटक के दृष्टिकोण से मेरा यह मानना है, कि यदि हम छोटी-छोटी कुछ जमीनी बातों पर ध्यान दें तो हिमाचल के पर्यटन को और पंख मिलेंगे। सबसे पहले मनाली की बात करते हैं, जहां पूरे भारत से पर्यटक वर्षभर आकर यहां की सुंदरता का आनंद लेते हैं। मनाली के प्रवेश द्वार पर ग्रीन-टैक्स बैरियर है। यह टैक्स बाहरी राज्यों के पर्यटकों से वसूला जाता है। इस धनराशि का उपयोग मनाली के प्राकृतिक सौंदर्य को संरक्षित करने व पर्यटकों को गुणवता-युक्त सुविधाएं प्रदान करने पर होना चाहिए, परंतु जब इस प्रवेश द्वार से निकलने के पश्चात घंटों तक पर्यटक जाम में फंसा रहता है तो उसे बहुत निराशा होती है। हिडिम्बा रोड व क्लब हाऊस रोड जगह-जगह गड्ढों से भरे हैं। बाजार की खुली नालियों में बहता दुर्गन्धयुक्त गंदा पानी इस पर्यटन नगरी की सुन्दरता पर दाग लगाता है। गर्मियों के पर्यटन सीजन में यह स्थिति और भयावह हो जाती है। इसके अतिरिक्त पार्किंग मनाली की एक बहुत गम्भीर समस्या है। ग्रीन-टैक्स से इकट्ठी हुई धनराशि उपलब्ध स्थानों पर कम दरों की उचित पार्किंग व्यवस्था, सुन्दर व चौड़ी सडक़ों के निर्माण पर व गन्दे पानी के उचित निकास पर विशेष रूप से खर्च की जानी चाहिए। बर्फ के मौसम में बार-बार बिजली का गुल हो जाना भी यहां के पर्यटन को धक्का लगाती है।
अत: बिजली आपूर्ति व्यवस्था का सदृढ़ीकरण भी आवश्यक है। इसी प्रकार बाहरी राज्यों से बहुत से पर्यटक कसौली में सुकून पाने आते हैं। यहां भी धर्मपुर से जब कसौली की ओर अन्दर प्रवेश करते हैं, तो सडक़ों की दयनीय स्थिति, धूल व गड्ढों से भरी सडक़ें पर्यटकों का स्वागत करती हैं। तंग व बदाहल सडक़ों के कारण यहां भी जाम आम समस्या है। खजियार व पराशर की झीलें सूखने के कगाार पर हैं व इन स्थलों पर जाने के लिए पर्यटकों को भी बहुत ही संकरे, ऊबड़-खाबड़ व पथरीले रास्तों से गुजरना होता है। कुफरी की बात करें तो वहां की धूल व ऊबड़-खाबड़ सडक़ें व घोड़ों के मल की दुर्गन्ध पर्यटकों को निराश करती है। कहीं भी कोई स्वच्छ शौचालय या जन सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। इस चर्चा से एक बात स्पष्ट होती है कि पर्यटन स्थल की साफ-सफाई, स्वच्छ शौचालय, उचित व सस्ती-पार्किंग तथा सुन्दर व चौड़ी सडक़ें पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी आवश्यकताएं हैं। मात्र होटलों का निर्माण करना ही पर्यटन विकास नहीं है। ऐसा करने से अनावश्यक रूप से पर्यावरण सन्तुलन गड़बड़ा जाता है। सम्पूर्ण पर्यटन ईको सिस्टम का विकास आवश्यक है। पर्यटक चाहता है कि वह तय दिनों के अन्दर अपना प्रवास पूरा करे व उस पर्यटन स्थल के बारे में एक सुखद स्मृति लेकर जाए। इसके लिए स्थानीय प्रशासन को कुछ बातों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है- जैसे कि पर्यटक घंटों तक जाम में न फंसे, दलालों व अन्य बिचौलियों की ठगी व लूट-खसोट न हो। भीड़-भाड़ वाले स्थलों पर मित्र-पुलिस द्वारा अराजक तत्वों की गुडांगर्दी व जेब-कतरों से पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो। स्वच्छ व उचित संख्या वाले शौचालय उपलब्ध रहें।
पर्यटकों को सही व सटीक जानकारी देने के लिए पर्यटन निगम द्वारा अपनी वेबसाईट पर, बड़े-बड़े होर्डिंग के माध्यम से व सूचना-केन्द्रों के माध्यम से जानकारी प्रदान की जानी चाहिए। जहां पर्यटक प्रशासन से उचित व्यवस्थाओं की उम्मीद रखते हंै, वहीं उनका भी नैतिक कत्र्तव्य बन जाता है कि वे स्थानीय प्रशासन द्वारा उनके लिए तय नियम-कानूनों व निर्देशों का पालन करें, गन्दगी न फैलाएं, सभी चेतावनियों का पालन करें। यदि पर्यटक व्यवस्थाओं से सन्तुष्ट है तो वापस जाकर अपने दूसरे साथियों व मित्रों को वहां की जानकारी दे ताकि और अधिक संख्या में पर्यटक आएं, जिससे प्रदेश की आर्थिकी व रोजगार को बढ़ावा मिल सके। हमें हिमाचल की प्राकृतिक सुंदरता को हर कीमत पर बनाए रखना है।
संजय शर्मा
स्वतंत्र लेखक
By: divyahimachal
Rani Sahu

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