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- विकास के बाधक
Written by जनसत्ता; समाज में दहशत फैलाने वाले हर युग में रहे हैं। ऐसे लोगों का कोई धर्म नहीं होता। ये मानवता के दुश्मन अपना उल्लू सीधा करने के लिए कौम की बदनामी की भी परवाह नहीं करते। ऐसे लोगों से सतर्क रहना होगा, अन्यथा हजारों साल पुरानी सर्वधर्म समभाव की भारतीय संस्कृति को नष्ट करने में ये तनिक भी गुरेज नहीं करेंगे।
भारतीय संस्कृति पर विदेशी हमले तो हजारों साल से होते रहे हैं, पर जब देशद्रोही ताकतें सारे जतन कर अनेकता में एकता के सिद्धांत को नहीं डिगा पाई तो उन्होंने उसका स्वरूप बदल कर सुनियोजित तरीके से धार्मिक शोभायात्राओं को निशाना बना दहशत फैलाना शुरू किया है। इसका प्रमाण विभिन्न प्रदेशों में हुए सिलसिलेवार घटनाक्रमों से स्पष्ट हो जाता है, जो चिंता का विषय है।
क्या ऐसी सुनियोजित साजिशें एक ही दिन में अन्जाम दी जा सकती है? बिना विभिन्न पक्षों का गहराई से अध्ययन किए ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाना मुश्किल है। अफसोस कि पहले गलत आचरण करने वाले व्यक्तियों का समाज, जाति के साथ ही सभी प्रकार के रिश्तों तक से बहिष्कृत कर देता था, पर वर्तमान में उसका उल्टा हो रहा है। निजी स्वार्थ और तुष्टीकरण के चलते सामाजिक मौन, अमानवीय परंपराओं को बढ़ावा देने के साथ ही अराजक तत्वों के मनोबल को बढ़ा रहे हैं। क्या ऐसे कृत्य आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को अंधकार की ओर अग्रसर नहीं कर रहे? क्या ऐसे सामाजिक टकराव हिंदू-मुसलिम भाईचारे को नहीं चिढ़ाते
आजादी के पचहत्तर साल बीत जाने के बाद भी भारतीय औपनिवेशिक साजिश के शिकार बने हुए हैं, जो देश की प्रगति और विकास में बाधा बनी हुई है। हमें ऐसी मानसिकता से तौबा करना होगा ताकि सामाजिक सद्भाव के साथ ही आपसी विश्वास भी बना रहे।
देश में एक ही समय हुई हिंसक वारदातों से साफ है कि इसके लिए सुनियोजित तरीके से तैयारी की गई थी! जहांगीर पुरी की हिंसक घटना में जिस तरह धारदार और मारक हथियारों के साथ लैस युवाओं और बच्चों की भागीदारी दिखी, वह इसका दूसरा पक्ष उजागर करती है कि इन्हें धर्म के नाम उकसा कर धार्मिक वैमनस्यता को फैलाने की पूरजोर कोशिश की गई!
दूसरी तरफ, दिल्ली से सटे सबसे घनी जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश में हिंदू संगठनों द्वारा कई जगह शोभायात्राएं निकाली गई, पर वहां स्थिति विपरीत दिखी। वहां मुसलिम समुदाय के लोगों ने अनेक जगहों पर तपती गर्मी में पानी-शरबत की छबीले लगा हिंदू समाज के लोगों का स्वागत किया, जिसका श्रेय उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन की जनमानस के बीच बेहतर पैठ और कुशल प्रबंधन को जाता है।