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- बंगलादेश ने दिखाया...
आदित्य नारायण चोपड़ा; नूपुर शर्मा और नवीन जिन्दल के पैगम्बर मुहम्मद के बारे में दिये गये बयानों पर बवाल मचा हुआ है। सऊदी अरब, कतर और यूएई जैसे मुस्लिम देश निंदा करते हुए भारत को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देश भी भारत के विरुद्ध जहर उगलने लगे हैं लेकिन भारत के पड़ोसी देश बंगलादेश ने न केवल भारत के खिलाफ बयान देने से इंकार कर दिया बल्कि उसने तो उचित कार्रवाई के लिये भारत सरकार का धन्यवाद भी किया है। बंगलादेश के सूचना एवं प्रसारण मंत्री डॉ. हसन महमूद ने विवादित बयानों को भारत का आंतरिक मामला बताते हुए इस पर प्रतिक्रिया देने से इन्कार कर दिया। यद्यपि 57 देशों के इस्लामिक सहयोग संगठन का बंगलादेश पर दबाव था और उसने बंगलादेश की चुप्पी पर सवाल भी उठाए थे लेकिन उसने किसी दबाव में आने से इन्कार कर दिया। सबसे पहली बात तो यह है कि बंगलादेश के लिए यह एक बाहरी मामला है और विशुद्ध भारत का आंतरिक मामला है। बंगलादेश के मंत्री का यह कहना है कि मैं इस मुद्दे को क्यों भड़काऊ, क्यों इसमें आग लगाऊं, काफी महत्वपूर्ण है। अब जबकि विवादित बयान देने वालों पर भाजपा ने एक्शन ले लिया है, कानूनी कार्रवाई भी अदालतों तक जा पहुंची है तो बंगलादेश को कुछ करने की जरूरत नहीं है।बंगलादेश ने स्पष्ट स्टैंड लेकर उन मुस्लिम देशों के मुंह पर तमाचा मारा है बल्कि भारत के सच्चे मित्र देश होने का परिचय भी दिया है। बंगलादेश ने भारत सरकार पर भरोसा जताया है। साथ ही यह भी दिखाया है कि उसका विश्वास धर्मनिरपेक्षता में है। हसन महमूद ने यह भी कहा है कि भारत के नेताओं द्वारा घरेलु राजनीति के चलते बयानबाजी कभी सुर्खियां बन जाती हैं, इसी तरह बंगलादेश में भी कुछ कट्टर समूह जो बहुत कम संख्या में हैं, इसी तरह की बयानबाजी करते रहते हैं, मीडिया ओर सोशल मीडिया उसे उछालते हैं जिनका मकसद केवल गलत छवि पेश करना होता है। किसी भी नागरिक की पहचान उसके देश के नाम से होती है उसके धर्म से नहीं। इसलिए देश का मुस्लिम समुदाय पहले भारतीय है। कौन नहीं जानता कि भारत बंगलादेश के निर्माण में सबसे बड़ा सूत्रधार था। 1971 के युद्ध में 16 दिसम्बर को पाकिस्तान के 92 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। पूर्वी पाकिस्तान के युद्ध में पाकिस्तान के पराजित होने के बाद पूर्वी पाकिस्तान का नया नामकरण बंगलादेश हुआ और एक स्वतंत्र देश के रूप में भारत ने सबसे पहले उसे मान्यता दी। युद्ध खत्म होने के बाद शेख मुजीब (बंग बन्धू) की अवामी लीग ने सरकार बनाई और वह पहले राष्ट्रपति बने। तब बंगलादेश ने खुद को धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में घोषित किया। यह दक्षिण का पहला मुस्लिम बहुसंख्यक देश था जिसने धर्मनिरेपक्षता को संविधान में जगह दी थी। शेख मुजीब कहा करते थे कि मुस्लिम अपने धर्म का पालन करंे, हिन्दू, बौद्ध, ईसाई अपने धर्म का पालन करें। 1975 में तख्तापलट में बंगबंधु और उनके परिवार के अधिकांश लोगों की हत्या कर दी गई। बाद में जनरल जिया उल रहमान ने धर्मनिरपेक्षता को संविधान से हटा दिया। वर्तमान में शेख मुजीब की बेटी शेख हसीना सत्ता में है लेकिन जब भी बंगलादेश में शेख मुजीब के बनाए संविधान की वापसी की बात होती है तो कट्टरपंथी ताकतें सक्रिय हो जाती हैं।ऐसा नहीं है कि बंगलादेश में हिन्दुओं पर हमले नहीं हुए। कट्टरपंथियों ने न केवल हिन्दुओं के मंदिरों पर हमले किए बल्कि उन्होंने तो ईसाई और बौद्ध धर्म के लोगों को भी निशाना बनाया। शेख हसीना सरकार ने कट्टरपंथियों को दंडित करने के लिए कानूनी कार्रवाई भी की। जहां तक पाकिस्तान का सवाल है वहां रहने वाले हिन्दुओं पर अत्याचार जारी है। हिन्दू मंदिरों में तोड़फोड़ के बाद समुदाय के लोगों से मारपीट की जाती है। देवी-देवताओं की मूर्तियां खंडित की जाती हैं लेकिन पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर होने वाले जुल्मों के बारे में दुनिया कुछ नहीं कहती। मुस्लिम राष्ट्र भी खामोश हो जाते हैं और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार संगठन भी चुप्पी साधे रहते हैं। अब सवाल यह है कि भारत में भाजपा की एक प्रवक्ता के विवादित बयान पर जिस तरह खाड़ी सहित मुस्लिम देशों में आंदोलन हुए और नाराजगी दिखी क्या वैसा ही आंदोलन पाकिस्तान में हिन्दुओं पर अत्याचार के खिलाफ भी चलेगा। भारत और बंगलादेश के रिश्ते काफी गहरे हैं। भारत ने शेख हसीना सरकार को हर संकट की घड़ी में मदद की है। इस मामले में बंगलादेश अपवाद है जिसने पड़ोसी धर्म निभाते हुए अपना अलग स्टैंड लेकर कट्टरपंथी मुस्लिम देशों को आईना दिखाया है।संपादकीय :चुनाव आयोग की गुहारधार्मिक सहिष्णुता का इम्तेहानबुद्धम शरणम गच्छामिमां यशोदा और श्रवण कुमार जैसे पुत्र के देश में...अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबरमतदाता और राष्ट्रपति चुनाव