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जनता से रिश्ता वेबडेस्क।बांग्लादेश की जयंति के 49 वें और शेख मुजीबुर्रहमान के शताब्दि समारोह के उपलक्ष्य में भारत और बांग्लादेश के प्रधानमंत्रियों के बीच जो संवाद हुआ,वह दोनों देशों के बीच संबंधों की घनिष्टता का द्योतक तो है ही, इस अवसर पर दोनों देशों के बीच जो 7 समझौते हुए हैं, वे आपसी व्यापार, लेन-देन और आवागमन में काफी बढ़ोतरी करेंगे। 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान बंद हुआ हल्दीबाड़ी-चिलहटी रेल-मार्ग भी अब खुल जाएगा। पहले चार रेल मार्ग तो खुल ही चुके हैं। इस रेल-मार्ग के खुल जाने से बंगाल और असम के बीच आवागमन बहुत सुगम हो जाएगा। दोनों नेताओं के सहज संवाद से यह आशा भी बंधती है कि जल-बंटवारा, रोहिंग्या संकट, सीमाई हिंसा और कोरोना-संकट जैसे मामलों में भी भारत बांग्लादेश की मदद करेगा। वास्तव में बांग्लादेश के साथ भारत का पिता-पुत्र का संबंध है। यदि भारत नहीं चाहता तो बांग्लादेश बन ही नहीं सकता था। 1971 में श्रीमती इंदिरा गांधी ने विलक्षण साहस का परिचय दिया और पाकिस्तानी फौज के चंगुल से बांग्लादेश को मुक्त कर दिया।