सम्पादकीय

बांग्लादेश: हिंदुओं का भरोसा जीतने की चुनौती

Neha Dani
21 Oct 2021 1:12 AM GMT
बांग्लादेश: हिंदुओं का भरोसा जीतने की चुनौती
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इसलिए भी एक स्त्री होने के कारण आपसे मेरी प्रार्थना है कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ इस हिंसा को रोकें।

माननीया प्रधानमंत्री, शेख हसीना, आप बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हैं। बांग्लादेश में जितने भी बौद्धिक व विवेचक हैं, वे आप पर भरोसा करते हैं। किसी भी दुर्योग का मुकाबला कर पाने में आप ही सक्षम हैं। इसलिए अभी वहां जो कुछ हो रहा है, उस पर अंकुश लगाने के लिए आपको सख्त होना पड़ेगा। धर्मनिरपेक्षता के सपने के साथ जिन लोगों ने इकहत्तर में बांग्लादेश में मुक्तियुद्ध को अंजाम दिया था, कुछ गलत लोग लंबे समय से उस धर्मनिरपेक्षता को ध्वस्त करने के एजेंडे में लगे हुए हैं।

उस धर्मनिरपेक्षता को फिर से शक्तिशाली और प्रासंगिक बनाने की क्षमता आप ही में है। हम सभी जानते हैं कि हाल के दशकों में वहां एक नई पीढ़ी आकार ले चुकी है, जिसकी असहिष्णुता तथा गैर-मुस्लिमों व नारियों के प्रति विद्वेष की भावना धीरे-धीरे भीषण होती गई है। ये लोग ईर्ष्या, घृणा और विद्वेष के हथियारों के साथ अपने पड़ोसियों पर हमला बोलने के लिए दौड़ रहे हैं। दूसरी भाषा और दूसरी संस्कृति के साथ रह न पाने के कारण ही इकहत्तर में हम अपनी बांग्ला भाषा और संस्कृति के साथ अलग हुए थे।
आज अगर बंगाली ही दूसरे बंगाली को निशाना बनाए, तो इकहत्तर के हमारे शत्रु के ही हाथ मजबूत होंगे। बांग्लादेश में इस असहिष्णु पीढ़ी को जो लोग तैयार कर रहे हैं, उनकी शिनाख्त करनी होगी और संकीर्णता, विभाजन और विद्वेष की भावना से लोगों को मुक्त करना होगा। इसके बगैर देश का भविष्य भयावह है।
मैं नहीं जानती कि समूचे बांग्लादेश में हिंदुओं पर इतने बड़े हमले के बाद कितने हिंदू वह देश छोड़ देंगे। मेरी आशंका है कि हिंदुओं की एक बड़ी आबादी रात के अंधेरे में अपने पुरखों की देहरी छोड़ निकल लेगी। अपना अस्तित्व बचाने के लिए अल्पसंख्यक समुदाय लंबे समय से देश छोड़ने के लिए अभिशप्त है। बांग्लादेश का अल्पसंख्यक समुदाय दूसरी किसी भी सरकार की तुलना में आपके सत्ता काल में तुलनात्मक रूप से सुरक्षित महसूस करता आया है। हिंदू, बौद्ध और ईसाई आपके दौर में जितने सुरक्षित रहे हैं, उतने किसी और सरकार में नहीं।
अपने भाषणों में आपने बार-बार कहा है, जो लोग हिंदुओं के घरों में आग लगाते हैं, आप उन्हें कठोर सजा देंगी। अगर सचमुच अपराधियों को सजा मिलती, तो हिंदुओं के सामने अपने पुरखों का गांव-घर छोड़ जाने की विवशता न होती। अफगानिस्तान और पाकिस्तान में निरंतर अत्याचार के कारण अल्पसंख्यक आबादी धीरे-धीरे नगण्य होती जा रही है। अगर बांग्लादेश में भी ऐसा ही हुआ, तो धर्मनिरपेक्ष लोगों के बीच आपकी छवि क्या रह जाएगी?
इसलिए इस क्षण सभी को देश के अल्पसंख्यक समुदाय को सौ फीसदी सुरक्षा प्रदान करने की शपथ लेनी होगी। पीड़ित और असहाय हिंदुओं की आर्थिक सहायता करनी होगी, ताकि वे अपने ध्वस्त घरों और दुकानों का पुनर्निर्माण करा सकें। और दूसरा जरूरी काम यह है कि जो मुल्ला-मौलवी लोगों को हिंदुओं और महिलाओं के खिलाफ उकसाते हैं, उन पर कड़ी कार्रवाई करनी होगी। बांग्लादेश की नई पीढ़ी को पथभ्रष्ट करने के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार ये मुल्ले ही हैं।
वहां की जनता यह भी जानती है कि अगर आप ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाना चाहें, तो आसानी से उठा सकती हैं, क्योंकि आप इस समय सबसे अधिक ताकतवर हैं। यह कहना गलत नहीं कि बांग्लादेश में आज कोई विपक्ष नहीं है। फिर आपका विरोध करेगा कौन? हिफाजत-ए-इस्लाम नाम के जिस समूह ने पिछले दिनों सांप्रदायिक हिंसा की कुछ घटनाओं को अंजाम दिया था, आपने जरूरी सख्ती दिखाकर उस पर अंकुश लगाया ही है। ऐसे में, हिंदुओं को निशाना बना रहे कुछ मुल्ला-मौलवियों का दमन आप सहजता से कर सकती हैं।
इस बीच दो तथ्यों ने मुझे बेहद विचलित किया है। एक तो मानवाधिकार आयोग का आंकड़ा ही है, जिसके मुताबिक, पिछले नौ साल में बांग्लादेश में कुल 3,679 हिंदुओं को निशाना बनाया गया है, और किसी भी मामले में पीड़ित को न्याय नहीं मिला है। और दूसरा तथ्य यह कि वर्ष 2016 में नासिर नगर में हिंदुओं को निशाना बनाने के मामले में आरोपियों-दीवान अतिकुर रहमान, अबुल हाशिम और अख्तर मियां को अवामी लीग ने चुनाव में टिकट दिया है। अगर यही न्याय है, तब फिर पीड़ितों का तो न्याय पर से भरोसा ही उठ जाएगा।
प्रधानमंत्री से मेरा निवेदन है कि नासिर नगर में हिंदुओं के घरों में जिन लोगों ने आग लगाई, सैकड़ों हिंदुओं को जिन्होंने बेघर, बेसहारा कर दिया, न सिर्फ उन्हें दिया गया चुनावी टिकट रद्द कीजिए, बल्कि ऐसे अपराधियों को तत्काल अपनी पार्टी से बाहर भी कीजिए। अगर आप ठान लें, तो ऐसा कर सकती हैं।
मुस्लिम कट्टरपंथियों के खिलाफ आपको सख्त कदम इसलिए भी उठाना चाहिए, क्योंकि इस बीच आपने बांग्लादेश को एक विकसित देश बना दिया है। आर्थिक रूप से बांग्लादेश आज बेहद मजबूत है। ऐसे में, कुछ समूह अल्पसंख्यक समुदाय को जिस तरह लगातार निशाना बना रहे हैं, उससे आपकी छवि ही खराब हो रही है। यह सही है कि आज बांग्लादेश में कल-कारखानों की संख्या बढ़ी है, सड़क और पुल आदि भी बेहद उन्नत हैं। लेकिन यह आप भी जानती होंगी कि सिर्फ इन्हीं की वजह से कोई देश उन्नत नहीं हो जाता। वहां अमीर और गरीब के बीच की खाई बनी हुई है।
बांग्लादेश की वास्तविक प्रगति तो तब होगी, जब वहां अल्पसंख्यकों की स्थिति बेहतर होगी। मैं बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा का मुद्दा पिछले कई दशकों से लगातार उठाती आई हूं। दिसंबर, 1992 में वहां हिंदुओं पर हुए भीषण हमले की मैं गवाह थी, उन्हीं हमलों को आधार बनाकर मैंने लज्जा नाम से एक उपन्यास लिखा था। लेकिन तत्कालीन खालिदा जिया सरकार ने मेरे उस उपन्यास पर प्रतिबंध लगा दिया था।
मेरी आपसे यह भी प्रार्थना है कि उस किताब पर लगा प्रतिबंध आप हटा दें, क्योंकि मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि लज्जा पढ़ने पर वहां के लोगों का अल्पसंख्यक हिंदुओं के प्रति कट्टरवादी और हिंसक रवैया बदलेगा। आपके बाद शायद ही कोई महिला बांग्लादेश में सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे। इसलिए भी एक स्त्री होने के कारण आपसे मेरी प्रार्थना है कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ इस हिंसा को रोकें।

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