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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आमतौर पर हमें अपने देश की पुलिस व उसके अधिकारियों की छवि को लेकर बहुत अजीबो-गरीब स्थिति से गुजरना पड़ता है। हमें लगता है कि वे लोग तो समाज से पूरी तरह कटे हुए होते हैं। अच्छा पुलिस अफसर वहीं माना जाता है जिसे देखकर लोगों के मन में आतंक व भय पैदा हो। मगर हाल ही में एक आला पूर्व पुलिस अफसर आमोद कंठ की पुस्तक 'खाकी इन डस्ट स्टॉर्म' तमाम भ्रांतियो को दूर कर हमें पुलिस वालो की कार्य प्रणाली और समाज के प्रति उनकी भूमिका के बारे में सोचने के लिए मजबूर कर देती है। आमोद कंठ 1980 से 1990 के दशक में दिल्ली में तैनात रहे जब राजनीति व आतंकवाद की दृष्टि से बहुत उतार चढ़ाव वाला समय था। यह वह समय था जब देश में अभूतपूर्ण घटनाएं व दुर्घटनाएं घटी। इसी दौरान प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हुई व उसके बाद देश में सिख विरोधी दंगे हुए। राजीव गांधी की हत्या हुई। देश को दहलाने वाला ट्रांजिस्टर बम कांड हुआ।