सम्पादकीय

अखिलेश यादव से खफा आजम खान ने शिवपाल यादव से अपने ताल्लुकात जाहिर किए

Rani Sahu
22 May 2022 11:03 AM GMT
अखिलेश यादव से खफा आजम खान ने शिवपाल यादव से अपने ताल्लुकात जाहिर किए
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आजम खान (Azam Khan) अपने खिलाफ ‘बीजेपी की घोर नफरत’ को लेकर चिंतित हैं

एम हसन

आजम खान (Azam Khan) अपने खिलाफ 'बीजेपी की घोर नफरत' को लेकर चिंतित हैं. 23 मई से शुरू होने वाली राज्य विधानसभा में उनके अगले कदम पर पैनी नजर रहेगी. खान ने कहा, 'अगर मुझे सत्ता से पूछने का मौका मिलता है तो मैं बीजेपी (BJP) की नफरत के सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश करूंगा.' उन्होंने रामपुर में मीडिया से कहा, 'मेरे चेहरे से पता चल सकता है कि मैंने जेल में क्या झेला है. मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि इस सरकार या सत्ताधारी दल को मुझसे इतनी नफरत क्यों है.'
जाहिर है, खान नवगठित उत्तर प्रदेश विधानसभा के पहले सत्र में अपना एजेंडा तय करते दिख रहे हैं. ऐसा लगता है कि वह भी समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) से खुश नहीं हैं. खान ने पीएसपी-एल (PSP-L) प्रमुख और विधायक शिवपाल यादव के साथ अपनी निकटता ज़ाहिर की है और पार्टी से निपटने के लिए अपना एक्शन प्लान तैयार करने में जुटे हैं. तल्ख लहज़े में उन्होंने कहा कि उनके अपने लोगों ने उनकी तबाही में योगदान दिया और उन्होंने भगवान से प्रार्थना की है कि उन्हें अच्छी समझ मिले.
उनके साथ काम करने का इरादा व्यक्त करने वाली बसपा (BSP), एआईएमआईएम (AIMIM) और कांग्रेस पार्टी के रुख का जिक्र करते हुए खान ने कहा, 'इन सब का क्या कहें जब मैं और मेरा परिवार भी मुश्किल में हैं. ये इस समय मेरे लिए कोई बड़ा सवाल नहीं हैं.' हालांकि, खान ने साफ कर दिया है कि वह बीजेपी के खिलाफ अपनी राजनीतिक लड़ाई तेज करेंगे. उन्होंने कहा, 'मैं वह नहीं हूं जो अपना ज़मीर बेचता है, न ही मैं अपने वतन और न ही अपने कौम को बेचूंगा.'
मुसलमानों को दंडित किया जा रहा- खान
खान ने अपने खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि 'मैंने 40 साल से सोना, चांदी और कंगन पाने के लिए राजनीति नहीं की है.' यह बताते हुए कि मुसलमानों को उनके वोट के अधिकार के लिए दंडित किया जा रहा है, उन्होंने कहा, 'सभी राजनीतिक दल समझते हैं कि मुसलमान राजनीतिक दलों के समीकरण बिगाड़ सकते हैं.' खान के रामपुर स्थित मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय को पिछले पांच वर्षों के दौरान काफी नुकसान उठाना पड़ा है.
पिछले हफ्ते मायावती ने अपने ट्वीट में खान पर हो रहे अन्याय को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा था. इसे यूपी में मुस्लिम मतदाताओं को खुश करने के उनके कदम के तौर पर देखा गया. कांग्रेस ने पिछले महीने प्रमोद कृष्णन को भी खान से मिलने के लिए जेल भेजा था. हालांकि, उन्होंने जेल में विधायक रविदास मल्होत्रा के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल से मिलने से इनकार कर दिया था.
ईद की बधाई देने के बहाने खान ने अपने बेटे अब्दुल्ला के माध्यम से ट्विटर का सहारा लिया, जिसमें उन्होंने अप्रत्यक्ष तरीके से SP नेतृत्व पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, 'तू छोड़ रहा है, तो ख़ता इसमे तेरी क्या, हर शख़्स मेरा साथ निभा भी नहीं सकता, वैसे तो एक आंसू ही बहा ले जाए मुझे, ऐसे कोई तूफान हिला भी नहीं सकता.' जबकि इस बात के साफ संकेत मिल रहे हैं कि अखिलेश यादव और खान के बीच रिश्ते अच्छे नहीं हैं. वहीं शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) ने खान की रिहाई के बाद 'एक मोर्चा बनाने' की बात कही.
यूपी में मुस्लिम मुद्दों पर अखिलेश यादव खामोश!
शिवपाल यादव ने हाल ही में पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव पर 'इस मुश्किल समय में' खान की मदद नहीं करने के लिए निशाना साधा. हालांकि, यह पता चला है कि मुलायम सिंह ने खान को सीतापुर जेल से वेदांता हॉस्पीटल शिफ्ट करने में प्रमुख भूमिका निभाई थी, जब 2021 में वे कोविड संक्रमण से पीड़ित थे. यूपी सरकार के एक सीनियर ऑफिसर ने कहा, 'यह बड़े यादव थे जिन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पर्याप्त उपचार मुहैया कराने के लिए कहा था'.
अखिलेश यादव को उनके चाचा शिवपाल यादव को पार्टी छोड़ने और बीजेपी में शामिल होने के लिए 'उकसाने' वाले के रूप में भी देखा जाता है. उन्होंने हाल ही में सवाल किया कि बीजेपी उन्हें पार्टी में शामिल करने में देरी क्यों कर रही है. 2012 में अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले खान को किसी तरह शांत करने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं. ऐसा लगता है कि लंबे कारावास ने खान को एक कड़वा आदमी बना दिया है और वह इसे पार्टी के खिलाफ मानते हैं. उनके परिवार ने पहले ही उनके गुस्से और उनकी पीड़ा को जाहिर कर दिया है. मनमुटाव से यह भी संदेश मिला रहा है कि 'यूपी में मुस्लिम मुद्दों पर अखिलेश यादव खामोश हैं'.

सोर्स- tv9 hindi news

Rani Sahu

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