सम्पादकीय

आजादी: यह शेख मुजीब का बांग्लादेश तो नहीं

Neha Dani
22 Oct 2021 1:44 AM GMT
आजादी: यह शेख मुजीब का बांग्लादेश तो नहीं
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हिंदुओं और हिंदू संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका को भुला दिया गया है।

बांग्लादेश अपनी आजादी की स्वर्ण जयंती मना रहा है। सत्तर के दशक में नौ माह चले नरसंहार के बाद पाकिस्तान से अलग कर बांग्लादेश को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में जन्म देने में भारत ने जो भूमिका निभाई थी, वह इतिहास के पन्नों में अंकित है।

शेख मुजीब ने बांग्लादेश को भारत की ही तरह धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाया था और उसके संविधान में यह अंकित करवाया था। वह बांग्लादेश के जन्म के लिए जहां भारत की महत्वपूर्ण भूमिका के प्रति ऋणी थे, वहीं कुल 16 करोड़ की जनसंख्या वाले देश के नौ प्रतिशत हिंदुओं के प्रति भी उनमें सद्भावना थी।
लेकिन शेख मुजीब की हत्या के बाद सत्ता संभालने वाले सैनिक शासक जनरल जियाउर रहमान ने बांग्लादेश को इस्लामी राष्ट्र बना दिया। आगे चलकर वर्ष 2010 में बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय ने एक आदेश के द्वारा बांग्लादेश को पुनः धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित कर दिया, किंतु इस्लाम का राष्ट्रधर्म होने का दर्जा बरकरार रखा। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमले बताते हैं कि वहां हिंदू अल्पसंख्यक कितने असुरक्षित हैं।
इस लेखक ने अपने अभिन्न मित्र और कभी मुक्तिवाहिनी सेना के सिपाही तथा वर्तमान में बांग्लादेश के प्रसिद्ध अस्थिरोग चिकित्सक डॉ. अमजद हुसैन के आग्रह पर वर्ष 2019 में पश्चिम बंगाल से सटे हुए दिनाजपुर जिले का दुर्गापूजा के दौरान दौरा किया था।
डॉ. अमजद अल्पसंख्यक हिंदुओं के बीच बड़े लोकप्रिय हैं और उनके द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों में हिंदू बच्चे भी पढ़ते हैं। वह मुझे अपने साथियों जयंतो रॉय और पेशे से इंजीनियर विमल रॉय के साथ लगभग एक दर्जन गांवों में पूजा दिखाने के लिए लेकर गए थे।
गांव वाले हिंदू बताते थे कि हर वर्ष पूजा के आयोजनों में मुस्लिम संप्रदाय के लोग भी चंदा देते हैं। हिंदुओं की संख्या गांवों में कम है और वह स्वयं चंदा इकट्ठा कर पूजा नहीं करवा सकते हैं। लेकिन आपसी प्रेम के कारण मुस्लिम संप्रदाय के धनिक लोग हिंदुओं को चंदा देकर पूजा आयोजन करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
किंतु कुछ कट्टरपंथियों को मुस्लिमों के इस उदार रवैये से नाराजगी है। इसके बावजूद पूरे बांग्लादेश में तेरह हजार दुर्गापूजा विभिन्न जिलों में आयोजित की जाती है। नियमों के अनुसार दुर्गापूजा आयोजन के लिए पंडाल या अन्य अस्थायी पूजास्थल बनाने के लिए जिलाधीश से अनुमति लेना आवश्यक है।
स्वीकृति के साथ ही जिलाधीश पुलिस को भी यह आदेश देते हैं कि पूजा के दौरान पूरी सुरक्षा का प्रबंध किया जाए। लेकिन पुलिस सुरक्षा के रहते हुए भी इस बार दुर्गापूजा पंडालों में कट्टरपंथियों के हमले हुए। गत वर्ष जब कुछ स्थलों पर दुर्गापूजा के दौरान हमले हुए, तो हिंदू संगठन 'हिंदू एक्सीस्टेंट' के प्रमुख उपानंद ब्रह्मचारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर का ध्यान आकर्षित किया था।
इसके बाद राजनयिक स्तर पर दोनों देशों के बीच बातचीत भी हुई थी, लेकिन इसके बावजूद हिंदुओं को पूरी सुरक्षा नहीं मिली। बांग्लादेश के टिप्पणीकार तनवीर हैदर चौधरी कहते हैं कि आज जब बांग्लादेश अपनी आजादी की पचासवीं वर्षगांठ मना रहा है, तब हिंदुओं और हिंदू संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका को भुला दिया गया है।

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