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आदित्य चोपड़ा: योगी आदित्यनाथ ने आज दोबारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर सभी पुराने रिकार्ड तोड़ने के साथ-साथ कई भ्रांतियों को भी तोड़ डाला। उत्तर प्रदेश में पहली बार कोई पार्टी 37 वर्ष बाद लगातार चुनावों में सत्ता में लौटी है। यह सब जानते हैं कि केन्द्र की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है। उत्तर प्रदेश भारत का ऐसा राज्य है जहां केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा ने सबसे पहले कांग्रेस के वर्चस्व को प्रभावशाली ढंग से चुनौती दी थी। उत्तर प्रदेश में पहली बार विधानसभा चुनाव 1952 में हुए। विधानसभा को 70 साल हो गए लेकिन इतिहास देखें तो तीन दशक से भी अधिक समय से आज तक कोई भी दोबारा सीएम नहीं बना है। उत्तर प्रदेश में 1952 में पहली बार सम्पूर्णानंद मुख्यमंत्री बने। सम्पूर्णानंद से लेकर योगी आदित्यनाथ तक उत्तर प्रदेश में देश के धुरंधर राजनीतिज्ञ माने जाने वाले नेताओं ने मुख्यमंत्री पद सम्भाला। जिनमें चन्द्रभानु गुप्ता, सुचेता कृपलानी, चौधरी चरण सिंह, कमलापति त्रिपाठी, नारायण दत्त तिवारी, बनारसी दास गुप्ता, मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह और मायावती शामिल हैं। उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय दलों ने ऐसे जातिगत समीकरणों को जन्म दिया जो कांग्रेस और भाजपा के लिए चुनौती बन गए थे। देशभर में जातिगत क्षत्रपों ने जन्म ले लिया ।चाहे मुलायम सिंह हों या बिहार में लालू प्रसाद, रामविलास पासवान, नीतीश कुमार की तिकड़ी अथवा हरियाणा में स्व. देवीलाल या राजस्थान में स्व. कुम्भाराम आर्य सभी चौधरी साहब के साथ जुड़ कर एक तरफ कांग्रेस को पटकी देते रहे और दूसरी तरफ भाजपा के बढ़ते जनाधार को सीमित करते रहे, किन्तु उत्तर प्रदेश में स्व. कांशी राम ने एक नया प्रयोग करके दलित मतदाताओं को पहली बार इस प्रकार संगठित करने में सफलता हासिल कर ली जिसकी अपेक्षा सम्भवतः डा. भीमराव अम्बेडकर के शिष्य रहे स्व. बुद्धि प्रिय मौर्य को भी नहीं थी। उन्होंने खुलेआम हिन्दुओं के सवर्ण वर्गों को धिकारने की राजनीति की शुरूआत करके दलित व मुस्लिम मतदाताओं को गोलबंद करके अपनी नवगठित बहुजन समाज पार्टी को सामाजिक वर्जनाओं के सहारे ही राजनीतिक दल में तब्दील कर दिया । इस पार्टी की बागडोर सुश्री मायावती सम्भाले हुए हैं। किन्तु इस गठजोड़ को स्व. चरण सिंह के ही चेले मुलायम सिंह यादव ने अपने दूसरे जातिगत गणित से तोड़ डाला। यह गठजोड़ यादव-मुस्लिम वोट बैंक कहलाया। मैं यह इतिहास इसलिए लिख रहा हूं जिससे वर्तमान संदर्भों में हम देश के इस सबसे बड़े राज्य की राजनीतिक समीकरणों को समझ सके। ये समीकरण राजनीतिक सिद्धांतों से बहुत दूर और वैचारिक प्रतिबद्धता से पूरी तरह कटे हुए थे। इसके परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक दक्षता का महत्व खत्म होता गया और इसका स्थान जातिगत अस्मिता ने ले लिया । लेकिन इस दौर में इस राज्य की राजनीति व्यक्तिमूलक होती गई। एक सिरे पर मुलायम सिंह और दूसरे सिरे पर बहन मायावती सीना तान कर खड़ी रहीं जबकि भाजपा व कांग्रेस अपने संगठन के साये में व्यापक रूप में फैले रहे। किन्तु राज्य में श्रीराम मंदिर निर्माण आंदोलन से भाजपा राज्य की ऐसी पार्टी बन गई जो मुलायम सिंह व मायावती के समकक्ष आकर करारी टक्कर देने लगी। स्वर्गीय कल्याण सिंह की भूमिका इसमें काफी महत्वपूर्ण रही। राजनीतिक घटनाक्रम के बीच राजनाथ सिंह जैसे अद्भुत नेतृत्व का उदय हुआ, जिन्होंने 2002 में मुख्यमंत्री बनकर अपनी प्रशासनिक क्षमता की छाप छोड़ी।16वीं विधानसभा के लिए हुए विधानसभा चुुनावों में समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के सीएम बने। इसी के बीच नरेन्द्र मोदी का राष्ट्रीय फलक पर शानदार पदार्पण हो चुका था। और नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने लोकसभा चुनावों में यूपीए को ध्वस्त करते हुए केन्द्र में सरकार बना ली थी। उत्तर प्रदेश के 2017 के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने शानदार जीत हासिल की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह ने योगी आदित्यनाथ को सीएम बनाकर सबको चौंका दिया था। योगी एक आश्चर्यजनक पसंद थे। उत्तर प्रदेश जैसे राज्य की कमान एक योगी के हाथ में देना एक बहुत बड़ी चुनौती थी। योगी ने सभी की आशंकाओं को दूर करते हुए 5 साल में एक बेहतरीन सरकार दी। जिस राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति बद से बदतर थी उस राज्य में कानून व्यवस्था में सुधार कर भय का माहौल खत्म किया। बड़े-बड़े माफिया डोनों पर शिकंजा कसा। उनकी अवैध सम्पत्तियों पर बुलडोजर चलवा दिए। कानून का ऐसा खौफ पैदा किया कि बड़े-बड़े अपराधी भी पनाह मांगने लगे। अपनी प्रशासनिक कुशलता का परिचय देते हुए योगी सरकार के कल्याणकारी उपायों के कुशल वितरण के लिए काम किया और कोरोना महामारी के दौरान तमाम चुनौतियों का सामना किया। योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में फैली जापानी मस्तिष्क बुखार के उन्मूलन, राज्य में सड़क नेटवर्क और बिजली की स्थिति में सुधार की दिशा में काफी काम किया।संपादकीय :रेलवे का निजीकरण नहींरामपुर हाट में 'रावण लीला'इस्लामी अंगने में चीन का क्या काम!बाइडेन की 'युद्धक' नसीहतएकीकृत निगम से बदलेगी व्यवस्था125 वर्षीय पद्मश्री विजेता शिवानंद जी से सीखिए सफल जीवन का मंत्रयोगी आदित्यनाथ ने खुद पर मुस्लिम विरोधी होने के आरोपों को झूठा साबित कर महामारी के दौरान हर वर्ग के लिए ऐसी व्यवस्था की ताकि कोई भूखा न सोये। राज्य में अब जगह-जगह राजमार्ग, मैट्रो परियोजनाएं, औद्योगिक विकास दिखाई दे रहा है। राशन और प्रशासन के चलते योगी आदित्यनाथ ने साबित कर दिखाया कि उनका हि न्दुत्व सबका साथ सबका विकास का पक्षधर है। डबल इंजन की सरकार के नारे को सार्थक करते हुए उन्होंने राज्य में एक्सप्रैसवे के साथ-साथ रक्षा गलियारा और प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप में विकास के नए आयाम स्थापित किए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने योगी आदित्यनाथ के कामकाज की जमकर सराहना करते हुए कहा था यूपी प्लस योगी बहुत है उपयोगी। यह नारा इतना लोकप्रिय हुआ कि सभी की जुबां पर एक ही बात थी कि कुछ भी हो आएगा तो योगी ही।भले ही आलोचक उन्हें उग्र भगवाधारी कहें लेकिन मैं उन्हें स्वाभिमानी हिन्दू कहूंगा। जितनी लोकप्रियता उन्हें हासिल हुई है उतनी उत्तर प्रदेश के किसी राजनीतिज्ञ को नहीं मिली । योगी आदित्यनाथ ने फिर से कमान सम्भाल ली है तो अब उत्तर प्रदेश में विकास की बयार बहेगी। बचे-खुचे माफिया भी भागते नजर आएंगे। उत्तर प्रदेश के लोगों को रोजगार देने के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है। उनका सत्ता में आना भाजपा की वैचारिक जीत है क्योंकि लोगों ने बहुत सोच-समझ कर भाजपा को वोट दिया है।