सम्पादकीय

अपने पांव पर कुल्हाड़ी?

Gulabi Jagat
14 July 2022 4:45 AM GMT
अपने पांव पर कुल्हाड़ी?
x
सम्पादकीय न्यूज
By NI Editorial
यूरोप में असंतोष दिखने लगा है। इसका इजहार हाल में साफ देखने को मिला है। सचमुच यूरोप की स्थिति संकटग्रस्त है। क्या इसके लिए यूरोप खुद जिम्मेदार है, यह सवाल अब पूछा जा रहा है।
क्या यूरोप ने अपने पांव पर कुल्हाड़ी मारी? रूस को दंडित करने की कोशिश में यूरोपीय देशों ने जो किया, वह पलट कर उनके गले पड़ गया- ये बात अब साफ हो चुकी है। रूसी अर्थव्यवस्था तो पंगु नहीं हुई, लेकिन यूरोप जरूर रिकॉर्ड महंगाई और आसन्न मंदी का शिकार हो चुका है। जर्मनी में तो हाल यह है कि खुद वहां के कर्मचारी यूनियन उद्योगों के विनाश की आशंका जता रहे हैं। इन सबका प्रतिबिंब है यूरोपियन यूनियन (ईयू) की मुद्रा यूरो की बदहाली। बीस साल में ऐसा पहली बार हुआ है, जब अमेरिकी मुद्रा डॉलर और ईयू की मुद्रा यूरो की कीमत लगभग बराबर हो गई है। जब से यूरो प्रचलन में आया, वह हमेशा ही डॉलर से मजबूत मुद्रा रहा। लेकिन इस वर्ष के आरंभ से उसकी कीमत में अब तक 12 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद से यूरो की कीमत में तेजी से गिरावट आई है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अगर अगली तिमाही में अमेरिका और यूरोप में सचमुच मंदी की पुष्टि हो गई, तो यूरो की स्थिति और कमजोर होगी।
कहा गया है कि यूरो की कीमत डॉलर से कम हो जाने की वास्तविक संभावना है। एक डॉलर 0.95 से 0.97 यूरो के बराबर हो जाए, यह स्थिति जल्द ही आ सकती है। रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण यूरोप में ईंधन का संकट है। यूरोप में गैस की जरूरत का 40 फीसदी हिस्सा रूसी आयात से पूरा होता था। लेकिन ईयू ने आयात घटा दिया। ऊर्जा संकट के कारण ईयू क्षेत्र में महंगाई रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने एलान किया है कि महंगाई पर काबू पाने के लिए इस महीने वह ब्याज दर बढ़ाएगा। 2011 के बाद पहली बार यूरो जोन में ऐसा कदम उठाया जाएगा। ब्याज दर बढ़ने से मंदी की आशंका और गंभीर हो जाएगी। तो अब यूरोप में असंतोष दिखने लगा है। इसका इजहार हाल के चुनाव नतीजों और राजनीतिक संकटों के रूप में देखने को मिला है। सचमुच यूरोप की स्थिति संकटग्रस्त है। क्या इसके लिए यूरोप खुद जिम्मेदार है, यह सवाल अब पूछा जा रहा है।
Next Story