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- कोरोना से भी बचना और...
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर जितनी तेजी से कम हो रही है, उससे लाकडाउन से बाहर आने की आवश्यकता उतनी ही बढ़ती जा रही है। समस्या यह है कि लाकडाउन से बाहर निकलने की प्रक्रिया बहुत धीमी है। इस धीमी प्रक्रिया से आर्थिक-व्यापारिक गतिविधियों को बल मिलने की कोई प्रबल संभावना इसलिए नहीं, क्योंकि जिन क्षेत्रों को लाकडाउन से मुक्त किया गया है, वे गति तभी पकड़ सकेंगे जब उनसे संबंधित क्षेत्रों को भी पाबंदी से बाहर किया जाए। ऐसे उद्योग-धंधों की पहचान की जानी चाहिए, जो अन्य किसी पर निर्भर हैं और उन्हेंं भी खोला जाना चाहिए। दिल्ली में कारखाने खोल दिए गए हैं और निर्माण कार्य शुरू करने की भी अनुमति दे दी गई, लेकिन जहां कारखाने कामगारों की कमी का सामना कर रहे हैं, वहीं निर्माण क्षेत्र के समक्ष यह मुश्किल खड़ी हो गई है कि उसे जिन वस्तुओं की आवश्यकता है, उनसे संबंधित प्रतिष्ठान बंद हैं। आखिर ऐसे कैसे काम चलेगा? कम से कम उन राज्यों और इलाकों में तो लाकडाउन से बाहर आने के ठोस उपाय किए ही जाने चाहिए, जहां संक्रमण इतना कम हो गया है कि हाल-फिलहाल उसके सिर उठाने की कोई संभावना नहीं है। यह ठीक नहीं कि कई शहरों में कोरोना मरीजों की संख्या उससे भी कम है, जब किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं थी, लेकिन वे अभी भी लाकडाउन के दायरे में हैं।