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- ऑनलाइन क्रिमिनल से...
किरण चोपड़ा: इसमें कोई शक नहीं कि आज का जमाना कंप्यूटर का है। हर तरफ सबकुछ डिजिटल चल रहा है। फिर भी कुछ काम ऐसे होते थे जो हमें एक-दूसरे को सामने देखकर, प्रमाण पेश करने के बाद ही होते थे। जिसमें हेराफेरी की गुंजाईश कम रहती थी। सूचना और प्रौद्योगिकी के आज के समय में हम इसके लाभ पक्ष की ओर देख रहे हैं। यह भी सच है कि हर चीज के दो पहलू होते हैं। आज हम देख रहे हैं कि हर तरफ ऑनलाइन की ही चर्चा है। आप छोटे-मोटे बाजारों में चलने वाली दुकानों को बंद होता हुआ देख रहे हैं। बड़ी-बड़ी ब्रांडेड कंपनियां सेल बढ़ाने के लिए जब अपने यहां सैलिब्रिटी को अंबेस्डर बनाती थी तो वह दौर भी अब उस जगह पहुंच चुका है जहां जीवन में कंपीटीशन ही सबकुछ रह गया है। कल तक आप बैंक जाकर अपने दस्तावेज जमा कराकर और जो कुछ बैंक कहता था उसके प्रमाण देकर लोन ले लेते थे परंतु अब ऑनलाइन सुविधा चल रही है। ऑनलाइन लोन देने वाले एप्स बाजार में सक्रिय हैं और ये लोग ऑनलाइन लोन देने के नाम पर क्या कुछ कर रहे हैं क्या कुछ नहीं लेकिन लोग इनका शिकार हो रहे हैं। इस मामले में आरबीआई ने लोगों को सावधान रहने की चेतावनी भी दी है। लोन के नाम पर घपलेबाजी की कहानियां किसी से छिपी नहीं हैं परंतु यह भी सच है कि ऑनलाइन के चक्कर में कोई भी किसी को मोबाईल पर कॉल देकर उसका नंबर या उसके आधार से लिंक जोड़ लेने के बाद हेराफेरी करके बैंक से रुपये निकलवा लेता था। इस साइबर अपराध के विरुद्ध हजारों केस हैं। दिल्ली पुलिस का साइबर क्राईम कंट्रोल सेल बहुत कुछ कर भी रहा है परंतु साइबर क्रिमिनल कभी भी कुछ भी कर सकते हैं। इसके बारे में मैं आपके समक्ष पहले भी चर्चा कर चुकी हूं लेकिन अब जिस प्रकार से ऑनलाइन लोन के नाम पर लोगों को फंसाया जा रहा है समय आ गया है कि ऑनलाइन लोन ऐप्स लाने वालों पर शिकंजा कसना होगा। हमारी तो मोदी सरकार से यह गुजारिश है कि अगर ऐसा करने वालो की नकेल कसने के लिए कोई कानून लाना पड़े तो लाया जाना चाहिए। अगर इस पर बहुत जल्दी नियंत्रण नहीं किया गया तो ऑनलाईन लोन देने के नाम पर ये ऐप्स लाने वाले कुछ भी कर जायेंगे। उस दिन टीवी इस मामले में आरबीआई से जुड़े कुछ एक्सपर्ट इसी के बारे में बता रहे थे कि अब ऐसी कंपनियां सक्रिय हैं जो ऑनलाइन लोन दे रही हैं और अपने ग्राहकों से वे मनमानी करके लूटपाट कर रही हैं। कोई किसी का डाटा नहीं ले सकता लेकिन लोन के नाम पर आपसे बैंक डिटेल ये लोग ले ही लेते हैं और यह अपने आप में एक बड़ी जालसाजी है। हालांकि इस दिशा में सरकार ने बहुत कुछ किया है लेकिन यह भी सच है कि बहुत कुछ किया जाना है। ईमानदारी से कहूं तो आज के जमाने में लोन ऑफर करने वाली कंपनियों के सैकड़ों फोन हर किसी के मोबाईल पर आते होंगे। लुटेरों को पता है कि पैसे के मामले में वे सौ में से बीस-तीस को भी फंसा गये तो उनकी बात बन जायेगी। सरकार लोगों को अलर्ट कर रही है लेकिन हैकर्स और क्रिमिनल जो साइबर से जुड़े हैं, वे नये-नये तरीके इजाद कर रहे हैं। समय आ गया है कि सरकार कोई नॉडल एजेंसी बनाये जो इन पर निगाह रख सके। किसी न किसी रेगुलेटरी सिस्टम को तो लागू करना ही होगा। सरकार ने इस मामले में लोगों को अलर्ट तो किया है लेकिन ऐसी कंपनियों को अभी तक बैन नहीं किया। अगर हम टिकटॉक जैसी चीनी कंपनियां बैन कर सकते हैं तो ऑनलाइन लोन देने के नाम पर ठगी करने वालों को क्यों नहीं काबू किया जा सकता। इतना ही नहीं अगर बैंकों को हमारा मतलब है अगर बैंकों का एक पैनल बना दिया जाये तो उन्हें पासपोर्ट की तर्ज पर काम करने की इजाजत दी जाये। उन्हें रजिस्ट्रेशन करने का सिस्टम बना दिया जाये तो बहुत कुछ नियंत्रण हो सकता है। समय की मांग यही है कि भोले-भाले लोगों को लोन के नाम पर एक कॉल के जरिये फंसाने वालों से बचाना होगा। देश की अर्थव्यवस्था में अगर पारदर्शिता है तो सबकुछ ठीक वरना कभी भी गड़बड़ हो सकती है। पूर्व में हमने इसके गंभीर प्रभाव देखे हैं। समय आ गया है कि इन एप्स पर ऑनलाइन लोन देने वालों की पूरी जांच की जानी चाहिए। ऐसा करने वाले देश के दुश्मन हैं, इसके बारे में लोगों को भी जागरूक बनाना होगा उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार ऑनलाइन लोन देने वाली कंपनियों और उनके एप्स पर शिकंजा कसेगी।संपादकीय :विधानसभा चुनावों की शतरंजप्रवासी भारतीयों की ताकततीन कृषि कानूनों की वापसीपाकिस्तान-तालिबान एक समान !