सम्पादकीय

औसत लोग काल्पनिक फिनिश लाइन को असल फिनिश लाइन मानकर रुक जाते हैं

Gulabi
12 Feb 2022 8:07 AM GMT
औसत लोग काल्पनिक फिनिश लाइन को असल फिनिश लाइन मानकर रुक जाते हैं
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दोनों भाइयों ने कुछ दिनों बाद माता-पिता को खो दिया, पर निधन के बारे में एक-दूसरे को नहीं बता सके
एन. रघुरामन का कॉलम:
पंजाब में गर्मियों की एक तपती दुपहरी को सिक्का खान के पिता वली और बड़े भाई सादिक, उसे और उसकी मां को घर पर छोड़कर पंजाब में ही किसी रिश्तेदार से मिलने के लिए निकले। उन्हें नहीं पता था कि वह फिर कभी साथ नहीं होंगे। क्योंकि कुछ दिन बाद राज्य खुद दो हिस्सों में बंट गया, एक भारत में था तो दूजा पाकिस्तान में। दोनों जानते थे कि उनके अपने भाई जिंदा हैं, पर पता नहीं था कि कहां।
दोनों भाइयों ने कुछ दिनों बाद माता-पिता को खो दिया, पर निधन के बारे में एक-दूसरे को नहीं बता सके, क्योंकि एक-दूसरे का पता नहीं मालूम था। बंटवारे के सात दशकों बाद 2019 में पाकिस्तानी यूट्यूबर नसिर ढिल्लोन काम के सिलसिले में पाकिस्तान के फैसलाबाद में एक गांव, बोगरां से गुजर रहे थे और उन्होंने 80 साल से ज्यादा उम्र के सादिक की 1947 में बंटवारे से बिछड़ने की कहानी सुनी।
ढिल्लोन 'पंजाबी लहर' नाम का चैनल चलाते हैं, जिसके दोनों पंजाब से 5 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं। वह बंटवारे की कहानियों, संस्कृति-विरासत पर फोकस करते हैं। इस यूट्यूबर ने सादिक के अनुरोध पर अपना भाई खोजने के लिए वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर किया। उन्हें भरोसा था कि उनका छोटा भाई जिंदा है। और एक दिन के भीतर ही बठिंडा जिले के फुलेवाल गांव से डेयरी मालिक व ग्रामीण मेडिकल डॉक्टर जसगीर सिंह ने उनसे संपर्क करके बताया कि सिक्का (70 से ज्यादा उम्र) उनके गांव में रहते हैं।
हालांकि दोनों भाइयों के मिलन में दो साल से ज्यादा लग गए, कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद वे आखिरकार पिछले महीने मिल सके। तकरीबन 74 साल बाद! और बठिंडा में अब हर कोई दुख-सुख भरी विभाजन की बिछुड़ने-मिलने की ये कहानी जानता है। अब सिक्का को उम्मीद है कि पाकिस्तानी सरकार हर साल उसे वीजा देती रहे, ताकि वह अपने भाई के साथ कुछ महीने बिता सकें। इस दिलचस्प कहानी से मुझे हर व्यक्ति के अंदर छुए एक चैंपियन की याद आती है। आइए मैं बताता हूं वो क्या है।
याद करिए जब हम छात्र थे, तो रात में पढ़ाई के दौरान सबने ये अनुभव किया है। एक ऐसा बिंदु आता था, जब तेज नींद आती थी पर किसी तरह अगर उस बिंदु से आगे कुछ समय जागे रहते, फिर नींद हवा हो जाती। बल्कि तरोताजा महसूस करते और उसके बाद सोना मुश्किल हो जाता, यहां तक कि मां आकर प्यार से कहतीं, 'बहुत पढ़ाई हो गई, अब सो जाओ।' यह असल में अस्तित्व से जुड़ा कानून है। जिंदगी आपकी राह में एक काल्पनिक फिनिश लाइन बनाती है।
ये जिंदगी का, औसत लोगों को बाकियों से अलग करने का तरीका है। औसत लोग काल्पनिक फिनिश लाइन को असल फिनिश लाइन मानकर रुक जाते हैं। पर सादिक जैसे विजेता उस काल्पनिक रेखा के परे जाते हैं। और फिर खूबसूरत दुनिया खुली बांहों से उनका स्वागत करती है। जब ऐसे हालात आएं तो थोड़ा रुके रहें, नजर आ रही फिनिशिंग लाइन नहींं स्वीकारें। जिंदगी सबकी राहों में जाल बिछाती है।
यह उसका, चैंपियंस और हारे लोगों में अंतर करने का तरीका है। पर लीजेंड जानते हैं कि वह अगर इस काल्पनिक लाइन के परे चले गए, तो फिर कोई और फिनिश लाइन नहीं रह जाती। यहां तक कि अच्छी समझ वाले रिश्ते भी कई बार अलगाव तक पहुंच जाते हैं, लगता है जैसे सबकुछ भरभराकर गिरने वाला है। अगर रिश्ते में शामिल दोनों में से कोई एक भी सिर्फ थोड़ी देर इसे थामे रखे, तो वही रिश्ता उस गहराई तक उतर जाएगा कि कोई भी कल्पना बौनी हो जाएगी।
फंडा यह है कि जब आपको लगे कि बस हो गया, उसी बिंदु पर खुद को थोड़ा रोकना है और जो चाहते हैं उसे पाने के लिए खुद को धकेलना है।
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