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- ताजमहल का अद्भुत
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में आगरा के ताजमहल के दरवाजों को खोलने के लिए याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि कोर्ट ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को निर्देश दे कि वह ताजमहल के भीतर के 20 कमरों के दरवाजों को खोले और इसमे इस बात की जांच कराए कि क्या भीतर हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां रखी हैं, क्या इसमे हिंदू धर्म की पुस्तकें छिपाकर रखी गई हैं। गौरतलब हो कि तहखाने के जिन कमरों को खोलने के लिए याचिका दायर की गई है, वे पर्यटकों के लिए 1972 में ही बंद किए जा चुके हैं। आखिरी बार 16 साल पहले वर्ष 2006 में तत्कालीन संरक्षण सहायक मुनज्जर अली ने तहखाने के कमरों का संरक्षण सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट की सिफारिश पर किया था। तब यहां दीवारों में सीलन, दरारें भरने के लिए प्वाइंटिंग और प्लास्टर का काम कराया गया। तहखाने के कमरों के लिए रास्ता चमेली फर्श पर मेहमानखाने की ओर और दूसरा मस्जिद की ओर है, जिस पर अब लोहे का जाल डालकर बंद कर दिया गया है। इन्हीं कमरों में यमुना किनारे की ओर से पहुंचा जा सकता था, जो उत्तर पश्चिमी और उत्तर पूर्वी बुर्ज के पास बने हुए थे। लकड़ी के दरवाजे हटाकर ईंटों की दीवार लगा दी गई है। भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग के पूर्व निदेशक डा. डी. दयालन की पुस्तक 'ताजमहल एंड इट्स कन्जरवेशन' में बताया गया है कि 1976-77 में मुख्य गुंबद के नीचे तहखाने में दीवारों पर आई दरारों को भरा गया था। कई जगह सीलन आ गई थी। भूमिगत कक्षों में तथा रास्ते की मरम्मत की गई, जिसमें पुराना क्षतिग्रस्त प्लास्टर हटाकर नया प्लास्टर किया गया। गहरी दरारों को मोर्टार से भरा गया था। ताजमहल के तहखाने में कई रहस्य भी दफन हैं। ताजमहल की मुख्य गुंबद के चारों ओर बनी मीनारों का रास्ता तहखाने से भी है। वर्तमान में तहखाने में स्थित मीनार का दरवाजा बंद है। 20 कमरों के आगे मुख्य गुंबद के ठीक नीचे का हिस्सा ईंटों से बंद किया गया है। लाल पत्थर की चौखट कभी यहां थी, जिन्हें ईंटों से बंद कर दिया गया।