सम्पादकीय

बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमले, कुरान की बेअदबी तो बहाना है

Shiddhant Shriwas
18 Oct 2021 6:10 AM GMT
बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमले, कुरान की बेअदबी तो बहाना है
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बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमले को अगर विस्तृत परिप्रेक्ष्य में देखें तो दक्षिण एशिया के देशों में चीन के बढ़ते प्रभाव को अनदेखा नहीं कर सकते. यह सर्वविदित है

सोशल मीडिया पर कुरान की बेअदबी की अफवाह के बाद कट्टरपंथियों की भीड़ बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर लगातार हमले कर रही है, हिन्दू धार्मिक स्थलों, देवी-देवताओं की मूर्तियों को निशाना बना रही है और उनके घरों को आग के हवाले कर रही है. कोमिल्ला जिले से शुरू हुई हमलों की यह आग अब नोआखाली और राजधानी ढाका तक फैल चुकी है. वही नोआखाली जहां 7 नवंबर 1946 को सांप्रदायिकता की आग बुझाने के लिए महात्मा गांधी को जाना पड़ा था. वही ढाका जिसका नाम बांग्लादेश के सबसे बड़े ढाकेश्वरी मंदिर के नाम पर रखा गया था.

इतिहास के पन्नों को पलटकर देखें तो बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर हमले का इतिहास कोई नया नहीं है. भारत में बाबरी मस्जिद विध्वंस से पहले 29 अक्टूबर 1990 को बांग्लादेश में राजनीतिक संगठन जमात-ए-इस्लामी ने बाबरी मस्जिद को गिराए जाने की अफवाह फैला दी थी. इसके चलते 30 अक्टूबर को भड़की हिंसा में कई हिन्दू मारे गए थे. साल 2001 में बीएनपी-जमात गठबंधन की जीत के बाद हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा हुई थी. 2004 की अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट के अनुसार, 2001 के चुनाव के बाद चटगांव में एक ही हिन्दू परिवार के 11 सदस्यों को जिंदा जला दिया गया था. लेकिन अब जबकि बांग्लादेश में शेख हसीना की सत्ता है, एक पंथनिरपेक्ष सत्ता तो ऐसे में हिन्दुओं पर हमले की घटनाएं लगातार क्यों हो रही हैं?
कट्टरपंथियों को पसंद नहीं हसीना का भारत प्रेम
मीडिया रिपोर्ट्स में ये बात सामने आ रही है कि हमले की ताजा घटनाओं में प्रदर्शनकारी भारत विरोधी नारे लगा रहे हैं, साथ ही शेख हसीना को यह संदेश भी दे रहे हैं कि वो नई दिल्ली से अपनी नजदीकियां खत्म करें. दरअसल, बांग्लादेश में कई इस्लामिक कट्टरपंथी धड़े हैं जो शेख हसीना की सरकार से खफा रहते हैं. पिछले साल की ही तो बात है जब बांग्लादेश के कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन हजरत-ए-इस्लाम के चीफ जुनैद बाबूनगरी ने कहा था कि हम देश की सभी मूर्तियों को गिरा देंगे और कोई मायने नहीं रखता है कि कौन सी मूर्ति किसकी है. यहां तक कि बंगबंधु शेख मुजीब-उर-रहमान की 100वीं जयंती पर उनकी मूर्ति लगाने तक का विरोध जुनैद ने किया था. तो पहली बात तो यही है कि शेख हसीना की भारत के साथ दोस्ताना संबंध इन कट्टरपंथी संगठनों को मंजूर नहीं है. ऐसे संगठन बांग्लादेश को पूरी तरह से इस्लामिक राष्ट्र के तौर पर देखना चाहते हैं जो शेख हसीना की सत्ता के रहते संभव नहीं है. क्योंकि शेख हसीना बांग्लादेश की आजादी में भारत के अमूल्य योगदान का जिक्र करने से कभी नहीं चूकतीं. हमले की ताजा घटनाओं के बाद भी शेख हसीना ने कहा कि बंगबंधु शेख मुजीब-उर-रहमान यही चाहते थे कि बांग्लादेश में सभी धर्मों के लोग अपने धर्म का आजादी से पालन करें. बंगबंधु ने जिस मकसद से स्वतंत्र मुल्क बनाया था, हम उसी रास्ते पर चलेंगे. शेख हसीना का यही भारत प्रेम कट्टरपंथियों को रास नहीं आ रहा है और मौका पाते ही वो हिन्दुओं और उनके मंदिरों पर हमले कर भारत- बांग्लादेश के संबंधों को खराब करने का मौका तलाशते रहते हैं.
पवित्र कुरान की बेअदबी तो एक बहाना है
गंगा-ब्रह्मपुत्र के मुहाने पर स्थित बांग्लादेश में 9 प्रतिशत की आबादी वाले अल्पसंख्यक हिन्दुओं का एक सच ये भी है कि हाल के वर्षों में बड़ी संख्या में हिन्दुओं का यहां से पलायन हुआ है. ऐसे में कोई यह अफवाह फैलाकर हिन्दुओं पर हमला करने लगे कि उसने कुरान या पैगंबर मोहम्मद की बेअदबी की तो यह बात गले से नीचे उतरती नहीं है. दरअसल, कट्टरपंथी ताकतों को यह बात अच्छे से पता है कि हिन्दुओं ने पिछले 5000 सालों में किसी पर आक्रमण नहीं किया और न ही तलवार उठाकर किसी का धर्म परिवर्तन करवाया. जगह-जगह हिन्दुओं पर हमले इसी सोच का नतीजा है. यह पूरी तरह से बांग्लादेश से हिन्दुओं को भगाने की साजिश का एक हिस्सा है. भारत के दक्षिणपंथी नेता, पूर्व राज्यपाल और बांग्लादेश पर गहन अध्ययन करने वाले चिंतक डॉ. तथागत रॉय भी इस बारे में लगातार कहते रहे हैं कि बांग्लादेश में दो तरह के लोग हैं जो हिन्दुओं पर हमला करते हैं. एक कट्टरपंथी जो मानते हैं कि बांग्लादेश केवल मुसलमानों का देश है और दूसरा वह समूह जो बांग्लादेश में हिन्दुओं की अचल संपत्ति हथियाना चाहता है. कहने का मतलब यह कि कुरान की बेअदबी तो बहाना है, असल मकसद तो हिन्दुओं की संपत्ति को कब्जाना है. यह बांग्लादेश के अंदर की सामाजिक हकीकत है.
दक्षिण एशिया में चीन का बढ़ता प्रभुत्व
बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमले को अगर विस्तृत परिप्रेक्ष्य में देखें तो दक्षिण एशिया के देशों में चीन के बढ़ते प्रभाव को भी अनदेखा नहीं कर सकते. यह सर्वविदित है कि चीन भारत को दुश्मन नंबर एक मानता है. चीन लगातार इस कोशिश में जुटा है कि भारत को उसके सभी पड़ोसी देशों से अलग-थलग कर दें. यहां तक कि नेपाल और श्रीलंका को भी अपने जाल में फंसाकर उसे भारत के खिलाफ खड़ा करने में चीन काफी हद तक सफल रहा. अब बांग्लादेश को भी चीन उसी कतार में खड़ा करने की कोशिश में जुटा है. जब चीन को शेख हसीना की चाल समझ में नहीं आई तो उसने वहां के कट्टरपंथी संगठनों को साधना शुरू किया. चीन की दृष्टि साफतौर पर इसी फॉर्मूले पर काम कर रही है कि बांग्लादेश में जब हिन्दुओं पर हमले होंगे, मंदिरों पर हमले होंगे तो इसकी प्रतिक्रिया भारत में होगी. भारत-बांग्लादेश के संबंधों में खटास पैदा होगी तो बांग्लादेश का चीन से दोस्ती गांठना उसकी मजबूरी होगी. इस तरह से जब भारत के सभी पड़ोसी देशों पर चीन का शिकंजा कस जाएगा तो उसके लिए भारत को झुकाना काफी आसान हो जाएगा.
बहरहाल, बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमले की जो आग लगी है उसे समय रहते बुझाना जरूरी है. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा भी है कि इस मामले में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे किस धर्म के हैं. साथ ही भारत से भी गुजारिश की है कि इस मसले पर वहां शांति कायम रखी जाए. अगर भारत में कुछ होता है तो बांग्लादेश के हिन्दू प्रभावित होते हैं. लिहाजा अब भारत और बांग्लादेश को मिलकर वक्त रहते इसका स्थायी समाधान तलाशना जरूरी है, नहीं तो आतंकवादी संगठन और चीन जैसी साम्राज्यवादी ताकतें इसका फायदा उठाने से चूकेंगे नहीं.


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