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- प्रदूषण पर प्रहार
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सर्दी का मौसम शुरू होते ही दिल्ली और इससे सटे शहरों में वायु गुणवत्ता इस कदर खराब हो जाती है कि लोगों को सांस लेने संबंधी तकलीफें बढ़ जाती हैं।
सर्दी का मौसम शुरू होते ही दिल्ली और इससे सटे शहरों में वायु गुणवत्ता इस कदर खराब हो जाती है कि लोगों को सांस लेने संबंधी तकलीफें बढ़ जाती हैं। आंखों में जलन और त्वचा संबंधी परेशानियां शुरू हो जाती हैं। कई बार सरकार को लोगों से अपील करनी पड़ती है कि वे बेवजह घरों से बाहर न निकलें, सुबह की सैर रोक दें। कूड़ा-करकट, अलाव जलाने, निर्माण कार्यों पर रोक लगाने और सड़कों, पेड़-पौधों पर पानी का छिड़काव आदि करने जैसे उपाय आजमाए जाने लगते हैं। गाड़ियों पर सम-विषय योजना लागू करके वायु प्रदूषण पर काबू पाने का प्रयास होता है।
ऐसे में अच्छी बात है कि दिल्ली सरकार ने पहले से इस समस्या पर काबू पाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सर्दी में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए दस सूत्रीय शीत कार्रवाई योजना घोषित की है। दिल्ली सरकार के आजमाए कुछ उपायों के नतीजे उत्साहजनक रहे हैं, जिनके विस्तार पर जोर दिया गया है। उसमें धान की फसल कटने के बाद पराली जलाने से बढ़ने वाले वायु प्रदूषण को रोकना भी है। पूसा संस्थान ने इसके लिए जैव अपघट तैयार किया है, जिसका दिल्ली सरकार मुफ्त छिड़काव कराती है। उसके बेहतर नतीजे आए। इसलिए सरकार ने जोर दिया है कि समीपवर्ती राज्य भी उस अपघट के इस्तेमाल को बढ़ावा दें।
दिल्ली सरकार ने हाल में एक धुआं अवशोषित करने वाला संयंत्र लगाया है- स्माग टावर। इसके नतीजे काफी उत्साहजनक रहे हैं। ऐसे और संयंत्र लगाने की योजना है। मगर केवल इससे वायु प्रदूषण पर नियंत्रण कर पाना संभव नहीं है। गाड़ियों और कारखानों से निकलने वाले धुएं पर भी काबू पाना होगा। इसके लिए जिन मार्गों पर अधिक भीड़भाड़ होती है और लोगों को लंबे समय तक जाम में फंसे रहना पड़ता है, उन पर यातायात को सुचारु बनाना बहुत जरूरी है। सरकार ने ऐसे चौंसठ मार्गों को चिह्नित किया है।
कारखानों में अबाध बिजली आपूर्ति करने पर जोर है, ताकि उन्हें जेनेरेटर न चलाना पड़े। फिर निर्माण कार्यों में उड़ने वाली धूल भी वायु गुणवत्ता को खराब करती है। इसे रोकने के लिए कड़े नियम बनाए गए हैं और इन पर निगरानी रखने के लिए ढाई सौ दल गठित किए गए हैं। इन उपायों पर गंभीरता से अमल किया जाए, तो निस्संदेह दिल्ली की आबो-हवा को साफ करने में बड़ी कामयाबी मिल सकती है।
मगर दिल्ली एक ऐसा शहर है, जहां रोज दूसरे प्रदेशों से हजारों वाहन आते-जाते हैं। बाहर के वाहनों पर दिल्ली के कई नियम-कायदे लागू नहीं होते। फिर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान इससे सटे हुए राज्य हैं, जहां इस मौसम में धान की कटाई के बाद बड़े पैमाने पर पराली जलाई जाती है। हालांकि वहां की सरकारों ने पराली जलाने पर भारी जुर्माने और दंड का प्रावधान किया है, पर किसान इसलिए उन नियमों का पालन नहीं कर पाते, क्योंकि उन्हें उसी खेत को तैयार कर जल्दी गेहूं की फसल बोनी होती है।
ऐसे में इन राज्यों में पराली जलाने का असर दिल्ली पर पड़ता है। दिल्ली सरकार की अपील पर अगर ये राज्य गंभीरता दिखाएं, अपने यहां निशुल्क जैव अपघट का छिड़काव कराएं, तो पराली की समस्या से पार पाया जा सकता है। फिर भी सड़कों पर वाहनों की बढ़ती संख्या और उनसे निकलने वाले धुएं पर काबू पाना दिल्ली सरकार के सामने बड़ी चुनौती है, वह केवल कुछ दिनों की सम-विषय योजना से हल नहीं होने वाली। सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को दुुरुस्त करना और व्यावहारिक बनाना होगा।
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