सम्पादकीय

तीन साल में 9 कश्मीरी पंडितों पर हमला फिर भी धैर्य रखने की जरूरत, कश्मीर से पलायन करना विकल्प नहीं

Rani Sahu
18 Oct 2022 6:20 PM GMT
तीन साल में 9 कश्मीरी पंडितों पर हमला फिर भी धैर्य रखने की जरूरत, कश्मीर से पलायन करना विकल्प नहीं
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By लोकमत समाचार सम्पादकीय
अवधेश कुमार
जम्मू-कश्मीर के शोपियां में एक निरपराध कश्मीरी पंडित की हत्या ने फिर देश को उद्वेलित किया है. वास्तव में यह लक्षित हिंसा है जिसे आतंकवादी बीच-बीच में अंजाम दे रहे हैं. पूरण कृष्ण भट्ट की हत्या उस समय की गई जब वे अपने घर के पास चौधरी कुंड से बाग की तरफ जा रहे थे. जिस समय यह वारदात हुई उस समय इलाके का गार्ड भी मौजूद था. इस वर्ष यह चौथे कश्मीरी पंडित की हत्या है.
तीन वर्ष के आंकड़े को देखें तो अभी तक 9 कश्मीरी पंडित आतंकवादियों के हमले की भेंट चढ़ चुके हैं. 2020 में एक और 2021 में चार कश्मीरी पंडितों को मौत के घाट उतारा गया. जाहिर है, इस घटना के बाद कश्मीरी हिंदुओं या गैर मुस्लिमों के अंदर पहले से कायम भय निश्चित रूप से बढ़ा होगा. इसमें उनकी यह मांग भी पहली दृष्टि में आपको नावाजिब नहीं लगेगी कि हमें यहां से बाहर स्थानांतरित किया जाए. लेकिन क्या स्थायी सुरक्षा का यही एकमात्र उपाय है?
वास्तव में आतंकवादी संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में अपनी रणनीति के तहत वैसे आसान लक्ष्यों को निशाना बनाया है जिनसे एक साथ कई उद्देश्य सिद्ध हों. लोगों में भय पैदा हो तथा वे यहां से पलायन करने को मजबूर हो जाएं. लेकिन भविष्य का ध्यान रखें और आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित, शांत एवं निश्चिंत जीवन व्यवस्था सुनिश्चित करने का लक्ष्य बनाएं तो कठिन समय में अपना धैर्य बनाए रखना होगा.
सरकार पूरी समीक्षा के साथ इनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपाय करे, पर लोगों को भी ऐसी प्रतिक्रियाओं और निर्णयों से बचना पड़ेगा जिनसे आतंकवादियों और उनको शह देने वालों को यह कहने का अवसर मिलता हो कि कश्मीर पर भारत का नियंत्रण आज भी पूरी तरह नहीं हुआ और लोग वहां से पलायन करने को मजबूर हैं.
Rani Sahu

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