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Written by जनसत्ता: पिछले कुछ समय से रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव के बीच यह आशंका जरूर बनी हुई थी कि दोनों देशों के बीच कभी भी युद्ध छिड़ सकता है, पर साथ-साथ यह उम्मीद भी की जा रही थी कि वैश्विक स्तर पर इस स्थिति को टालने के लिए जैसी कोशिशें चल रही हैं, उसमें शायद युद्ध टल जाए। लेकिन गुरुवार को यूक्रेन से जैसी खबरें आई हैं, उसने दुनिया भर में शांति की इच्छा रखने वालों को निराश किया है। रूस ने यूक्रेन को अपने लिए खतरा बताते हुए जैसा अभियान छेड़ दिया है, उसमें शुरुआती दौर में ही यूक्रेन के चालीस सैनिकों और दस आम नागरिकों की मौत हो गई है।
रूस की सैन्य कार्रवाई की वजह से यूक्रेन में मार्शल ला लगा दिया गया है, जिसकी वजह से लोगों का एक से दूसरी जगह जाना भी मुश्किल हो गया है। ताजा हालात के मद्देनजर भारत वहां फंसे अपने नागरिकों को लाने में भी पूरी तरह कामयाब नहीं हो सका। अब रूस और यूक्रेन का तनाव जिस दिशा में आगे बढ़ चुका है, उसमें अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले दिनों में दुनिया को कैसी त्रासद खबरों का सामना करना पड़ सकता है।
अब वैश्विक समुदाय की ओर से रूस पर तीखे सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या शांतिपूर्वक वार्ताओं के माध्यम से समस्या का हल निकालने के सारे रास्ते बंद हो गए थे! मगर इस मसले पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि यूक्रेन की ओर से पेश किए जा रहे खतरों के जवाब में हमले की कार्रवाई की जा रही है; रूस का मकसद यूक्रेन पर कब्जा करना नहीं है, बल्कि सिर्फ नागरिकों की रक्षा करना है। दूसरी ओर, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर वेलेंस्की ने रूस के दावों को खारिज किया और कहा कि इस हमले से लाखों लोगों की जिंदगी पर असर पड़ेगा।
इस औपचारिक प्रतिक्रिया के साथ-साथ यूक्रेन के राष्ट्रपति ने जिस तरह हमले की स्थिति में लड़ने के संकेत दिए हैं, उससे साफ है कि युद्ध की शुरुआत के बाद स्थिति फिलहाल संभलने नहीं जा रही है। निश्चित रूप से इस युद्ध में रूस और यूक्रेन के रूप में प्रत्यक्ष रूप से सिर्फ दो पक्ष हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों के दौरान इस मुद्दे पर जो अंतरराष्ट्रीय तस्वीर उभरी है, उससे युद्ध का दायरा फैलने की आशंका भी जताई जा रही है।
दरअसल, रूस के ताजा रुख के बाद अमेरिका सहित पश्चिमी देशों ने जिस तरह आनन-फानन में रूस के खिलाफ बहुस्तरीय प्रतिबंधों की घोषणा की है और यूक्रेन के पक्ष में नाटो की पहल का संकेत भी दिया है, वह समस्या के और जटिल होने का ही रास्ता है। इसे रूस के राष्ट्रपति के इस बयान से समझा जा सकता है, जिसमें उन्होंने अन्य देशों को आगाह करते हुए कहा कि रूसी कार्रवाई में किसी प्रकार के हस्तक्षेप के प्रयास के ऐसे परिणाम होंगे, जो उन्होंने कभी देखे नहीं होंगे। फिलहाल रूस और यूक्रेन के बीच टकराव का यह शुरुआती दौर ही है।
मगर दोनों पक्षों की प्रतिक्रिया और रुख से साफ है कि आने वाले दिनों में स्थिति और ज्यादा बिगड़ सकती है। रूस ने यूक्रेन से नाटो के संबंध और क्रीमिया पर अंतरराष्ट्रीय रुख को अपनी कार्रवाई का आधार बताया है। ये मुद्दे अंतरराष्ट्रीय समुदाय और संयुक्त राष्ट्र के सामने लंबे समय से कायम थे, मगर वक्त पर कूटनीतिक पहलकदमी नहीं होने का नतीजा है कि आज दुनिया संभवत: तीसरे विश्व युद्ध के मुहाने पर खड़ी है। सबके लिए यह याद रखने की बात होनी चाहिए कि युद्ध की विभीषिका कभी भी मानवीय लिहाज से बेहतर नतीजे नहीं ला सकती।