सम्पादकीय

विधानसभा चुनाव 2022: स्पष्ट जीत पर्याप्त नहीं, पीएम मोदी को लहर की उम्मीद

Rani Sahu
12 Feb 2022 2:44 PM GMT
विधानसभा चुनाव 2022: स्पष्ट जीत पर्याप्त नहीं, पीएम मोदी को लहर की उम्मीद
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यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि चुनावों में बीजेपी (BJP) का पूर्ण दबदबा पिछले सात सालों से दांव पर है

अरुप घोष

यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि चुनावों में बीजेपी (BJP) का पूर्ण दबदबा पिछले सात सालों से दांव पर है. पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) हो रहे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) लगातार बीजेपी की लहर और भारी जीत का दावा कर रहे हैं. पीएम मोदी ने कहा, 'बीजेपी हमेशा लोगों की सेवा करती है. जब बीजेपी सत्ता में होती है तो हम 'सबका साथ, सबका विकास' के मंत्र के साथ काम करते हैं. मैं सभी राज्यों में बीजेपी के लिए एक लहर देख सकता हूं'.
यह चाहे चुनावी जुमलेबाजी हो या चुनावी खंडन, इस बार इस पर विश्वास करने वाले लोग भी कम हैं. शुरुआत करते हैं उत्तर प्रदेश से. पोल सर्वे और ग्राउंड रिपोर्ट बीजेपी के लिए स्पष्ट जीत का संकेत देते हैं. फिर से पढ़िए – स्पष्ट जीत. यह चौंकाने वाली जीत नहीं है. अगर बीजेपी 80 से ज्यादा सीटें नहीं हारती तो मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए चिंता की कोई बात नहीं होगी. इस राज्य के चुनाव परिणाम प्रतिष्ठा बचाने के अलावा 2024 के लोकसभा चुनावों में बहुत कुछ तय करेंगे.
दिहाड़ी मजदूरों के खाते में कैश ट्रांसफर, दलितों के लिए कम लागत वाले आवास और मुफ्त राशन बांटने के बावजूद उत्तर प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर है. कोविड के दूसरे चरण के दौरान हुई लापरवाही, प्रवासी मजदूरों का पलायन, कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन, बेरोजगारी और समाजवादी पार्टी से मिल रही चुनौती प्रदेश बीजेपी के गले की हड्डी बन गए हैं.
बाकी राज्यों की स्थिति कुछ इस तरह है:
1. गोवा: त्रिशंकु जनादेश की संभावना या बीजेपी जीत के करीब
2. मणिपुर: संभावित त्रिशंकु जनादेश या बीजेपी जीत के करीब
3. पंजाब: कांग्रेस या आप पार्टी की जीत
4. उत्तराखंड: त्रिशंकु जनादेश की संभावना या बीजेपी जीत के करीब
विधानसभा चुनावों में इस बार करीब 24.9 लाख मतदाता पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. सर्विस वोटर्स को मिलाकर कुल 18.34 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, जिसमें 8.55 करोड़ महिला मतदाता हैं.
इस बार दो राष्ट्रीय दल अपने मुख्य गढ़ों में से एक को बचाने में लगे हैं – यूपी में बीजेपी और पंजाब में कांग्रेस. कांग्रेस की 52 लोकसभा सीटों में से 11 पंजाब से है. बीजेपी की 301 लोकसभा सीटों में से 62 उत्तर प्रदेश से है. बीजेपी व्यावहारिक रूप से पंजाब में न के बराबर है जबकि कांग्रेस यूपी में बस नाम के लिए चुनावी मैदान में है. धार्मिक अल्पसंख्यक बीजेपी पर यक़ीन नहीं करते और इसका प्रभाव उत्तर प्रदेश के अलावा पंजाब में भी देखा जा सकता है. 3 विवादास्पद कृषि कानूनों के मुद्दे पर सिख किसान बीजेपी से दूर चले गए हैं. इसका प्रभाव पश्चिमी उत्तर प्रदेश (जाट फार्मिंग बेल्ट) और पंजाब दोनों में दिख रहा है.
मणिपुर में बीजेपी का उदय विचारधारा से नहीं हुआ
एबीपी न्यूज-सीवोटर सर्वेक्षण की भविष्यवाणी के अनुसार, गोवा विधानसभा चुनाव 2022 में वोट शेयर परसेंटेज पर गौर करें तो बीजेपी, कांग्रेस और आप के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है. हालांकि, बीजेपी 14 से 18 सीटों पर, कांग्रेस 10 से 14 सीटों पर और आप 4 से 8 विधानसभा सीटों पर आगे चल रही है. बीजेपी को सबसे ज्यादा 14-18 सीटें मिलने का अनुमान है, लेकिन अभी भी यह गोवा में 20 सीटों के बहुमत के निशान से कम है.
मणिपुर में बीजेपी का उदय विचारधारा से नहीं, बल्कि इसलिए हुआ है क्योंकि वह केंद्र में सत्ता में है. 60 सदस्यीय मणिपुर राज्य विधानसभा में महज एक सीट हासिल करने में पार्टी को 15 साल लग गए. 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 28 सीटों पर कब्ज़ा किया, वहीं बीजेपी 21 सीटों के साथ नंबर 2 के रूप में उभरी. तब भी बीजेपी ने सरकार बनाई. अब मणिपुर में बीजेपी ने कांग्रेस के 11 पूर्व विधायकों को टिकट दिया है, जिससे गुस्सा फूट पड़ा है. एबीपी-सीवोटर के अंतिम जनमत सर्वेक्षण के अनुमानों के अनुसार, उत्तराखंड की 70 सीटों में से, बीजेपी को 31-37 सीटें मिल सकती हैं, जिसमें कांग्रेस को लगभग 30-36 सीटें मिल सकती हैं. हालांकि इस राज्य में आप ने अभी-अभी कदम रखा है, लेकिन उसे 2-4 सीटें मिल सकती हैं.
पंजाब में 2022 के चुनाव समर्थकों के भारी घनत्व वाले क्षेत्र के हिसाब से जीते जाएंगे. पंजाब चुनाव का नतीजा तीन क्षेत्रों पर टिका हो सकता है. मालवा में आम आदमी पार्टी किसी हद तक अपनी स्थिति मजबूत कर सकती है, जहां 2017 में शिरोमणि अकाली दल ने बाजी मारी थी. दलितों के बड़े आधार वाले दोआबा क्षेत्र में बहुत कुछ कांग्रेस और उसकी प्रभावशीलता पर निर्भर कर सकता है. अंत में एक प्रमुख क्षेत्र है माझा, जहां बीजेपी-पीएलसी गठबंधन अपना ध्यान केन्द्रित कर सकता है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस को कितना नुकसान पहुंचाएंगे?
प्रधानमंत्री के पास वोटरों को लुभाने वाला मोहिनी मंत्र है
बीजेपी को दो मुख्यमंत्रियों के साथ भी संघर्ष करना पड़ रहा है जो एक अलग उद्देश्य के साथ अपनी राजनीतिक संभावनाओं को तलाश रहे हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) की नेता ममता बनर्जी दोनों 2024 के चुनावों में मोदी के लिए कड़ी चुनौती देने वाले शख़्सियत के तौर पर उभरना चाहते हैं. AAP पंजाब में ज़ोर लगा रही है और कुछ हद तक ऐसा गोवा, उत्तराखंड और यूपी में भी कर रही है.
ममता ने गोवा में काफी कोशिश की है लेकिन अभी तक नतीजे उत्साहजनक नहीं रहे हैं. अन्य पार्टियों से आए उसके कई नेता गायब हो गए हैं. कुछ लोगों का आरोप है कि टीएमसी का नेतृत्व तानाशाह के हाथ में है. प्रधानमंत्री के पास वोटरों को लुभाने वाला मोहिनी मंत्र और मोहक कथा है. उनके लिए लहर ही शानदार जीत का परिचायक है. निश्चित रूप से इसका मतलब मुश्किल से हासिल होने वाली जीत की स्थिति नहीं है. सतही तौर पर यह महज एक भावना हो सकती है लेकिन चुनाव परिणाम पीएम के वश में नहीं है.
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