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- शांति की राह पर आगे...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने असम में पहले बीटीआर समझौता दिवस यानी बोडो टेरिटोरियल रीजन एकॉर्ड डे के अवसर पर बोडो लोगों के विकास, सुरक्षा और अधिकार को मजबूती देने के लिए पिछले साल 27 जनवरी को किए गए बोडो एकॉर्ड के मूल प्रविधानों के तहत ही बोडो लोगों को सुविधा देने के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता जाहिर की। बोडो समझौता को गृह मंत्री ने पूवरेत्तर में उग्रवाद के अंत की शुरुआत के रूप में बताया है। असम सरकार द्वारा बोडो को असम की सह राज्य भाषा का दर्जा देकर वर्षो पुरानी मांग को समाप्त करने को एक उपलब्धि माना गया है। वहीं इतिहास में जाएं तो उत्तर पूर्वी भारत में नृजातीय पहचान, स्वायत्तता के लिए कई पृथकतावादी हिंसक आंदोलन में से एक प्रमुख बोडोलैंड की मांग का आंदोलन रहा है, जिससे जुड़ी उग्रवादी हिंसक गतिविधियों में हजारों लोगों की जानें जा चुकी हैं। इन्हीं कारणों से बोडो एकॉर्ड को अंजाम दिया गया। बोडो एकॉर्ड के प्रविधानों और उससे असम, बोडो और उत्तर पूर्व के राज्यों पर पड़ने वाले प्रभाव की समीक्षा से पहले संक्षेप में बोडोलैंड की मांग के बारे में जान लेना आवश्यक है।