सम्पादकीय

दुनिया से अपने हक का मांगो और भगवान से सबकुछ मांग लो

Rani Sahu
29 Oct 2021 4:38 PM GMT
दुनिया से अपने हक का मांगो और भगवान से सबकुछ मांग लो
x
नासमझ और संकोची लोग किसी से कुछ मांग नहीं पाते

पं. विजयशंकर मेहता नासमझ और संकोची लोग किसी से कुछ मांग नहीं पाते। देना और मांगना दोनों अपने आप में महत्वपूर्ण है। किसी को कुछ देना हो तो यह एक फौलादी प्रयास होता है। मांगना हो तो मुलायम कोशिश करना पड़ती है। मांग एक रहस्यपूर्ण घटना है, क्योंकि किससे, क्या और कब मांग रहे हैं, यह समझ बहुत जरूरी है। कुछ रिश्तों में मांग हक है और कुछ स्थितियों में यह अपराध भी है।

गलत या अनुचित मांग की कोख से ही भ्रष्टाचार जैसी बीमारी का जन्म होता है। मांग के पीछे संवेदना हो तो मांग वाजिब हो जाती है। माता-पिता से बहुत कुछ मांग लो, पति से निजी समय मांगो, पत्नि से प्रेम, बच्चों से अच्छा आचरण मांगो। रिश्तेदारों से मेल-मिलाप, भाई-बहन से अपनापन मांगो। दुनिया से अपने हक का मांगो और भगवान से सबकुछ मांग लो। वह बड़ा दयालु है।
बस, बिना किसी समीकरण के भाव समर्पण का हो तो वह सबकुछ देने के लिए तैयार है। अब यह दावा खोखला होगा कि हमारा काम बिना किसी से कुछ मांगे चल जाएगा। यदि आप सोचें कि हम किसी से कुछ नहीं मांगेंगे तो भी बेईमानों सें कहीं-कहीं ईमानदारी ही मांगना पड़ जाएगी। इसलिए मांगते वक्त भगवान के सामने नासमझ और संसार के सामने संकोची हो जाएं। हमारी मांग से हमें तो मिलेगा ही, देने वाले के पुण्य में भी वृद्धि होगी।


Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story