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सोर्स- नवजीवन
राहुल गांधी शारीरिक और बौद्धिक हिंसा के बीच बड़े हुए हैं। शारीरिक हिंसा का जन्म राजनीतिक सवालों का हल आतंकवाद के रास्ते से खोजने से हुआ। राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी उन हत्यारों की गोलियों का निशाना बनीं जो उनके बॉडीगार्ड भी थे। यह उस महान महिला के खिलाफ क्रूर विश्वासघात था, जिन्होंने मजहब के आधार पर अपने बॉडीगार्ड को बदलने की सलाह को मानने से इनकार कर दिया था। तब राहुल महज 14 साल के थे। अपनी दादी को खो देने के लिहाज से यह बहुत छोटी उम्र थी। वह दादी जो देश का नेतृत्व करने के अपने व्यस्त काम से फुर्सत निकालकर राहुल को कहानियां सुनाना नहीं भूलती थीं। राहुल ने उस दौरान कैसा महसूस किया होगा, उसे इंदिरा गांधी के अंतिम संस्कार के दौरान राजीव गांधी की उस तस्वीर से समझा जा सकता है, जिसमें उन्हें सुबकते राहुल गांधी को संभालते देखा जा सकता है।