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- आर्यावर्त की विरासत...
सृष्टि की शुरुआत से ही सांस्कृतिक धरातल व कई सभ्यताओं की जन्मस्थली रहे 'जगत गुरू' भारतवर्ष के इस मुकद्दस भूखंड पर हमारे मनीषियों ने मानवता की भलाई के लिए कई ग्रंथों की रचना व कई विद्याओं की उत्पत्ति कर दी थी। 'योग' परंपरा आर्यावर्त की उन्हीं प्राचीन विद्याओं में से एक है। भारतीय संस्कृति में योगिक परंपरा की शुरुआत भगवान शिव से मानी जाती है। सनातन संस्कृति में एकाग्रता से ध्यान समाधि का उद्देश्य आत्मबल व मानसिक स्वास्थ्य को मजबूती प्रदान करने से रहा है। वैदिक काल से ही हमारे ऋषि मुनियों की जीवन शैली आध्यत्मिक ज्ञान व योगिक साधना से जुड़ी हुई थी। योग के साक्ष्य 'ऋग्वेद' से लेकर हमारे कई प्राचीन ग्रंथों व पुराणों में विद्यमान हैं। महर्षि 'याज्ञवल्क्य' द्वारा रचित 'योगयाज्ञवल्क्य' ग्रंथ को योग का सबसे प्राचीनतम् दस्तावेज माना जाता है। 'गुरू गोरखनाथ' ने योग पर आधारित 190 श्लोकों के ग्रंथ 'योगबीज' की रचना की थी। 'घेरण्ड मुनि' द्वारा रचित 'घेरण्ड संहिता' भी योग का ही ग्रंथ है।
सोर्स - Divyahimachal