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- सेना, समाज और रंग
बीता सप्ताह रंगों से जुड़ा रहा। होली के अलावा भी रंगों का प्रदर्शन पूरा सप्ताह देखने को मिला। होली के दिन हर गली, नुक्कड़, शहर, चौराहे पर नौजवान, बुजुर्ग और बच्चे हाथों में पिचकारी और रंगों की पुडि़या लिए एक-दूसरे को रंगते हुए प्रेम सद्भावना का संदेश बांटते हुए नजर आए। ढोल-नगाड़ों और डीजे की धुनों पर थिरकते, खुशी में मदहोश लोगों को देखकर ऐसे लग रहा था कि ऐसी खुशियां एवं माहौल हर दिन क्यों नहीं होता। यह हमारे देश की खूबसूरती है कि हमारे त्यौहार मौसम तथा फसलों से जुड़े हैं। होली सर्दी से गर्मी तथा खेतों में लहलहाती फसल को देखकर खुशियां मनाने का एक तरीका है। इसी तरह दीपावली, दशहरा, लोहड़ी, बैसाखी, ईद हर त्यौहार के पीछे मौसम और फसलों का महत्व जुड़ा हुआ है। रंगों के त्योहार होली से एक दिन पहले होलिका दहन के दिन हम प्रण लेते हैं कि आओ सारी बुराइयों, द्वेष, दुर्भावना और घृणा को होलिका दहन की पवित्र अग्नि में स्वाहा करें तथा अगले दिन, सुबह की नई किरण के साथ रंग-बिरंगे, रंगों से एक दूसरे को प्रेम भावना का संदेश दें तथा सद्भावना पूर्ण समाज का निर्माण करें। होली के अलावा जो बीते सप्ताह दूसरे रंगों की चर्चा रही, वह थी भगवा और केसरिया (बसंती)।