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रूस और यूक्रेन के युद्ध को करीब 10 दिन हो गए हैं। इस युद्ध के दौरान सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं, हजारों लोग घायल हो चुके हैं और करोड़ों की संपत्ति तथा हथियार नष्ट हो चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई में विश्व के हर देश ने इस युद्ध के प्रति अपने विचार व्यक्त करना शुरू कर दिए हैं। पिछले दिनों यूएन जनरल असेंबली में रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पर वोटिंग हुई जिसमें प्रस्ताव के पक्ष में 141 जबकि विरोध में 5 वोट पड़े। भारत समेत 35 देशों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। रूस के पक्ष में वोट करने वाले देश रूस, बेलारूस, नॉर्थ कोरिया, इरिट्रिया और सीरिया थे जबकि जिन देशों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया उनमें भारत, चीन, पाकिस्तान, इराक और ईरान भी शामिल हैं। जिन देशों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया उनमें भारत को छोड़कर बाकी सब देशों के बारे में पूरे विश्व को पूर्व अनुमान था कि चीन, पाकिस्तान, ईरान और इराक रूस के पक्ष में ही रहेंगे क्योंकि उनके संबंध अमेरिका के साथ फिलहाल ठीक नहीं हैं, जबकि भारत पिछले कुछ वर्षों से अमेरिका के मित्रों में शुमार होने के लिए कड़ी मशक्कत कर रहा था, तो भारत का अचानक पुरानी विदेश नीति के हिसाब से गुटनिरपेक्षता को कायम रखना तथा वोटिंग न करना शायद सबसे ज्यादा अमेरिका को बुरा लग रहा है।