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रूस की यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई के बाद भारत ने अपने नागरिकों को वहां से सुरक्षित निकालने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है। अमेरिका का मानना है कि रूस का यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई करना पहले से ही निश्चित था। अगर पिछले कुछ हफ्तों से चल रही गतिविधियों का आकलन करें तो इसका आभास तभी हो गया था जब रूस ने यूक्रेन के साथ लगने वाली 450 किलोमीटर की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर करीब डेढ़ लाख सैनिक तथा काला सागर में खतरनाक मिसाइलों से लैस युद्धपोत तैनात करके यूक्रेन को चारों तरफ से घेर लिया था । इसका मुख्य कारण यह भी है कि रूस कभी भी नाटो देशों का प्रभाव यूक्रेन में नहीं चाहेगा क्योंकि इसकी बहुत सारी रणनीतिक, राजनीतिक तथा सामरिक वजह है। रूसी क्रांति के नायक ब्लादिमीर लेनिन ने एक बार कहा था कि 'यूक्रेन को खोना रूस के लिए एक शरीर से अपना सिर काट देने जैसा होगा।' यही वजह है कि रूस नाटो में यूक्रेन के प्रवेश का विरोध कर रहा है। यूक्रेन रूस की पश्चिमी सीमा पर स्थित है। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जब रूस पर हमला हुआ था तो यूक्रेन एकमात्र ऐसा क्षेत्र था जहां से रूस ने अपनी सीमा की रक्षा की थी। अगर यूक्रेन नाटो देशों के साथ चला गया तो रूस की राजधानी मास्को, पश्चिम से सिर्फ 640 किलोमीटर दूर हो जाएगी जो अभी लगभग 1600 किलोमीटर है। रूस और यूक्रेन के रिश्ते को समझना बहुत मुश्किल है। यूक्रेन के लोग स्वतंत्र रहना चाहते हैं, लेकिन पूर्वी यूक्रेन के लोगों की मांग है कि यूक्रेन को रूस के प्रति वफादार रहना चाहिए।