सम्पादकीय

सेना, सरकार और आंतरिक सुरक्षा-2

Rani Sahu
10 Jun 2022 7:01 PM GMT
सेना, सरकार और आंतरिक सुरक्षा-2
x
सदियों से सत्तासीन लोग आम जनता का मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए सोच समझकर एक योजनाबद्ध तरीके से भावनात्मक मुद्दों को उठा देते हैं

सदियों से सत्तासीन लोग आम जनता का मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए सोच समझकर एक योजनाबद्ध तरीके से भावनात्मक मुद्दों को उठा देते हैं, जिससे लोगों का मूलभूत जरूरतों से ध्यान भटक जाता है तथा वह भावनाओं में बह कर निर्णय लेना शुरू कर देते हैं। पर इतिहास यह भी बताता है कि अगर किसी ने राजनीतिक फायदे के लिए राष्ट्र और आंतरिक सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया है और उसे हल्के में लिया है तो इसके परिणाम भी भयावह रहे हैं। हमारा देश ही नहीं, अगर आप विश्व के अन्य देशों को भी देखें तो इस तरह के मुद्दे हमें लगभग हर देश में देखने को मिल रहे हैं। पड़ोसी देश श्रीलंका एवं पाकिस्तान इसके जीते जागते सबूत हैं। रूस और यूक्रेन में पिछले लगभग 100 दिन से चल रहे युद्ध में जो दोनों देशों का नुकसान हुआ है, उसे भी पूरा विश्व भलीभांति जान चुका है। इस युद्ध से यह भी साफ हो गया है कि आज के समय में आधुनिक टेक्नोलॉजी के हथियारों से लड़े जाने वाले युद्ध में हार-जीत का फैसला करना बड़ा ही मुश्किल है, क्योंकि एक छोटा सा छोटा देश भी सेना की कम संख्या होने पर भी आधुनिक हथियारों से विश्व की बड़ी से बड़ी सेना को रोकने में सक्षम है तथा उसको नुकसान भी पहुंचा सकता है।

यूक्रेन और रूस के युद्ध में आज यूक्रेन की स्थिति बिल्कुल नेस्तनाबूद होने पर आ चुकी है, फिर भी जिस तरह से नाटो देशों ने उसको आर्थिक एवं हथियारों के रूप में सहायता जारी रखी है, उससे यूक्रेन की सत्ता में आसीन राष्ट्रपति अपने देश की सुरक्षा के बारे में सोचे बिना उन देशों के हाथ की कठपुतली बनकर अपनी आने वाली पीढि़यों का नुकसान करवा रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि इस युद्ध में जितना नुकसान यूक्रेन को हुआ है, उसका अगर सही आकलन किया जाए तो राष्ट्रपति जेलेंस्की ने हीरो बनने के चक्कर में यूक्रेन को अगले 100 साल के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहने के लिए मजबूर कर दिया है
आज 22वी शताब्दी में हर देश को यह नीति बनाना बड़ा जरूरी है कि अपने देश के नागरिकों को इनसानियत और इमानदारी की शिक्षा दी जाए जो मानवता से प्यार करते हुए एक दूसरे के साथ मिलकर रहें तथा एक शांतिप्रिय जिंदगी जीने के साथ-साथ बाहरी मुल्कों की गलत मंशाओं से खबरदार रहें। अपने देश के नागरिक चाहे वे किसी भी धर्म, जाति, क्षेत्र या समुदाय विशेष से आते हों, सरकार का यह मौलिक कर्त्तव्य तथा धर्म होना चाहिए कि वह उन सबका विश्वास जीतकर उनको अपने साथ रखे, जो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बचनबद्ध हों। देश का हर नागरिक अपने आप को उतना ही जिम्मेदार माने जितना कि आंतरिक सुरक्षा के लिए सेना, पुलिस व पैरामिलिट्री फोर्स को समझा जाता है। अगर देश का हर नागरिक आंतरिक सुरक्षा को अपने परिवार की तरह जिम्मेदारी समझकर सहयोग देगा तो पुलिस व पैरा मिलिट्री फोर्सेज के लिए सामान्य व्यवस्था को सुचारू रूप से बनाने में ज्यादा समस्या नहीं होगी। ऐसे माहौल में देश की सेना अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की रक्षा तथा दुश्मन देशों से आक्रमण के खतरे से निपटने को और भी बखूबी निभा पाएगी। जब ऐसा होगा तो देश की तरक्की को रोकने की कभी भी किसी भी दुश्मन की हिम्मत नहीं हो पाएगी।
कर्नल (रि.) मनीष
स्वतंत्र लेखक

सोर्स- divyahimachal


Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story