सम्पादकीय

सेना और राष्ट्रपति

Rani Sahu
29 July 2022 7:01 PM GMT
सेना और राष्ट्रपति
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देश के ज्यादातर क्षेत्रों में भारी बरसात होने की वजह से नदी, नालों के अलावा हर जल स्त्रोत का जल स्तर बढ़ गया है

देश के ज्यादातर क्षेत्रों में भारी बरसात होने की वजह से नदी, नालों के अलावा हर जल स्त्रोत का जल स्तर बढ़ गया है। बरसात के मौसम में सावन के महीने का अपना ही औचित्य है, जिसमें भारत के हर कोने में महादेव की पूजा-आराधना की जाती है। इस महीने शिवलिंग पर दूध, बेलपत्र, फूल आदि चढ़ाकर पूजा करने की मान्यता है। माना जाता है कि महाभारत के समय अर्जुन जिन्हें भगवान श्री कृष्ण, कुंती यानी पृथा का पुत्र पार्थ कहकर संबोधित करते थे, ने महादेव की पूजा करके एक अभेद्य अस्त्र हासिल किया था, जिससे वह विश्व के सर्वश्रेष्ठ व ताकतवर योद्धा बने। आजकल जैसे-जैसे सावन की बरसात की वजह से गंगा और ब्रह्मपुत्र का पानी उफान पर आया, तो बंगाल की खाड़ी का भी जलस्तर बढ़ गया और उसकी तलहटी पर काली माता के चरणों में बसे ममतामयी शहर के कलयुगी पार्थ ने सरस्वती वंदना के एवज में लक्ष्मी अर्पित करने से कुबेर बनकर अभेद्य शक्ति पाने का प्रयास किया, जिसने उसे विधानसभा की ताकतवर कुर्सी से उतार कर व्हीलचेयर पर बैठाकर कारावास में भेज दिया। संसद में चुने तथा मनोनीत सदस्यों ने जीएसटी, महंगाई पर चर्चा करने के लिए आवाज उठाई जिसे संसद की कार्यप्रणाली देख रहे पदासीन अध्यक्ष ने असंसदीय एवं अशोभनीय घोषित करते हुए सस्पेंड कर दिया।

तो दूसरी तरफ हिंदी भाषा को ज्यादा से ज्यादा प्रयोग में लाने की सरकार की मुहिम के चलते एक अहिंदी भाषी सांसद ने अधीर होकर राष्ट्रपति को राष्ट्रपत्नी कह दिया तो हंगामा इतना बरपा कि संसद में 'मेह आई हेल्प यू मैम' से लेकर 'डोंट टॉक टू मी' तक बात पहुंच गई और सही मुद्दों के बजाय सारे दिन की न्यूज हैडलाइन बन गई। वैसे भी जिस तरह से सांसद और राजनेता अपने आप को हर चीज से ऊपर समझते हुए हर बात को अपने ढंग से करने का प्रयास कर रहे हैं, उसका परिणाम हमें श्रीलंका और इराक में देखने को मिल गया है। यह बड़ा जरूरी है कि जनता द्वारा निर्वाचित और पार्टियों द्वारा मनोनीत सदस्य सही मुद्दों को भटकाने और बरगलाने की जगह अगर जनता की समस्याओं पर चर्चा करते हुए सही कानून और बिल पास करें तो यह जनता, राजनेता और देश सबके लिए ही अच्छा होगा। पिछले हफ्ते देश को एक महिला राष्ट्रपति मिलीं जो एक ऐसे समुदाय से आती हैं, जिनको सदियों से हाशिए पर रखा गया था। जल, जंगल और जमीन को अपनी जिंदगी का हिस्सा व पूजनीय मानने वाला यह समुदाय जिसे शब्दों में आदिवासी कहकर संबोधित किया जाता है, मेरा मानना है कि यही लोग इस धरती के असली लाल हैं, जो पत्थर, पेड़, पहाड़, नदियां, जीव एवं जंतु हर किसी की पूजा करते हैं और इन सबको अपनी जिंदगी का हिस्सा मानते हैं। वैसे भी आदि काल से जब भी सृष्टि रचयिता के स्वरूप के बारे में चर्चा हुई है तो लोगों ने अदृश्य ताकत रूपी भगवान या फिर प्रकृति में से एक को मानने की बात कही, तो यह एक ऐसा समुदाय है जो वास्तविकता पर विश्वास करते हुए प्रकृति की पूजा करता है, तो इससे यह जाहिर है कि यह समुदाय तथाकथित समृद्ध तथा प्रबुद्ध लोगों से कहीं आगे है। हमारे देश में राष्ट्रपति तीनों सेनाओं जल, थल और वायु का प्रधान सेनापति भी होता है। अनुच्छेद 53 के अनुसार राष्ट्रपति को युद्ध घोषित करने तथा शांति स्थापित करने का अधिकार होता है तथा भारत का राष्ट्रपति भारत की तीनों सेनाओं के सेना प्रमुखों की भी नियुक्ति करता है।
कर्नल (रि.) मनीष
स्वतंत्र लेखक

By: divyahimachal

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