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- सेना और राजनीति-2
बीते सप्ताह वैश्विक राजनीति में काफी उलटफेर देखने को मिला। जहां यूक्रेन में हुए बूचा नरसंहार ने पूरे विश्व को स्तब्ध कर दिया तथा यूक्रेन का मानना है कि इस नरसंहार के लिए रूसी सेना जिम्मेदार है, जबकि रूस का मानना है कि इसकी जांच होनी चाहिए। मगर विश्व के ज्यादातर देशों का विचार लिया जाए तो शक की सुई रूसी सेना के चेचन लड़ाकों पर जाती है जो कि भूतकाल में भी इस तरह के वीभत्स अत्याचार और गतिविधियों के लिए जिम्मेदार रहे हैं। यूएनओ रूस को पूरे विश्व से अलग-थलग करना चाहता है और चाहता है कि विश्व का हर देश रूस के खिलाफ तथा अमेरिका के साथ खड़ा हो। भारत ने एक बार फिर वोटिंग के दौरान अनुपस्थित होकर तटस्थ बने रहने की कोशिश की है। वोटिंग से पहले अमेरिका और रूस दोनों देशों ने भारत पर दबाव बनाया था कि उनको वोटिंग में शामिल होना चाहिए और दोनों गुटों में से किसी एक की तरफ साफ तौर पर अपना सहयोग जाहिर करना चाहिए। इन चीजों की परवाह किए बिना भारत ने फिर से वोटिंग से अनुपस्थित होने का फैसला किया जो शायद भारत की स्वतंत्र व गुटनिरपेक्षता की नीति के लिए ठीक है।