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- सेना और सैन्य अभ्यास
बीते सप्ताह मेरे गृह क्षेत्र कांगड़ा में लगातार सावन की झड़ी एवं कोरोना ने हिंदी दिवस और सैर के त्यौहार पर भी लोगों को घरों में रहने को मजबूर कर दिया। मक्की की फसल में लगी सुंडी ने किसानों की मुश्किल इतनी बढ़ा दी कि उपज तो दूर की बात, घास भी पशुओं के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। उत्तर प्रदेश में चुनावी माहौल गर्माने लगा है। यहां नेताओं ने ताबड़तोड़ रैलियां शुरू कर दी हैं, डेंगू और कोरोना से परेशान लोगों को राम राज्य के सपने दिखाकर कभी हनुमान, कभी अब्बा जान तो कभी चाचा जान की बात हो रही है, जबकि आधारभूत मुद्दों पर न तो किसी पार्टी का कोई नेता बात कर रहा है और न ही मीडिया। इसी के साथ बीते 3 से 16 सितंबर तक रूस के नोवग्रोद क्षेत्र में बहुदेशीय सैन्य अभ्यास 'जैपड 2021' का आयोजन किया गया जिसमें चीन, श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, वियतनाम आदि देशों ने पर्यवेक्षक के रूप में हिस्सा लिया जिसका मतलब है कि इन देशों की सेना इस अभ्यास में हिस्सा नहीं ले सकती थी, पर वहां के नुमाइंदे अभ्यास के दौरान की जाने वाली गतिविधियों को देख सकते थे। यह सैन्य अभ्यास भारतीय सेना के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण था कि इसमें भारत, रूस, बेलारूस. आर्मेनिया, कजाकिस्तान सहित यूरेशिया और दक्षिण एशिया के कुल 17 देशों की सेनाओं ने हिस्सा लिया। भारतीय सेना की तरफ से इस अभ्यास में नागा रेजीमेंट के 200 जवानों के अलावा मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री और भारतीय वायु सेना के कमांडो भी हिस्सा बने। एक तरफ जहां रूसी सेना ने अपने अत्याधुनिक हथियारों से दुनिया के सामने अपनी ताकत दिखाई, वहीं भारतीय सेना की नागा रेजीमेंट के जवानों ने दुश्मन को हराने के लिए एक से बढ़कर एक कारनामे को अंजाम दिया।