सम्पादकीय

सेना और सीमा विवाद

Rani Sahu
21 Aug 2021 7:26 AM GMT
सेना और सीमा विवाद
x
किसी भी देश की सेना का मुख्य उद्देश्य उस देश की सरहदों की रक्षा करना होता है। देश में हो रही तरक्की

किसी भी देश की सेना का मुख्य उद्देश्य उस देश की सरहदों की रक्षा करना होता है। देश में हो रही तरक्की, कारोबार को बढ़ावा, अमन, शांति इस सबका मुख्य आधार सरहद पर शांति बनाए रखना होता है। जिस देश की सेना सरहद को महफूज रखने के काबिल है, उस देश की तरक्की और उन्नति की गति धीमी सही, पर लाजमी तथा तय है। हाल ही में कई वर्षों तक अमरीकी सेना अफगानिस्तान की सरहद और राष्ट्रीय संपत्ति की रक्षा करने के बाद सारी जिम्मेवारी अफगानिस्तानी सेना को सौंप कर वापस लौटी तो इतने साल से मौके के इंतजार में दुबके बैठे तालिबानी उग्र हुए और राष्ट्रपति भवन तक कब्जा कर लिया। पीड़ा यह है कि लगभग तीन लाख सैनिकों की प्रशिक्षित सेना भर तालिबानियों का मुकाबला नहीं कर पायी और सेना के सुप्रीम कमांडर राष्ट्रपति अपना झोला उठाकर निकल लिए। भारत में मानसून सत्र के बाद मोदी सरकार के नए मंत्री अपने-अपने गृह राज्य में आशीर्वाद यात्रा के लिए निकल पड़े हैं। यात्रा के दौरान लग रही लोगों की भीड़ से अंदाजा लगाया जा सकता है कि संपूर्ण तालाबंदी के दिन अब ज्यादा दूर नहीं हैं।

अगर सरहद की रक्षा की बात की जाए तो हर सरहद पर पड़ोसी राज्य के साथ विवाद होना एक आम बात है। इसी तरह का एक सीमा विवाद जो भारत-चीन सीमा पर चल रहा है, उसमें बातचीत से जो समाधान हुआ है उसका निष्पक्ष तरीके से आकलन करना बहुत जरूरी है कि इस समाधान से भारत को नुकसान हुआ है या चीन को लाभ। मोदी और शी जिनपिंग के बीच अच्छे रिश्ते रहने के बावजूद भारत चीन के सामने अपना इलाका गंवाता नजर आया है। चीन हथेली और पांच उंगलियां वाले मायो के सिद्धांत पर आज भी टिका है, पर हम कहां टिके है,ं यह शायद सरकार को भी पता नहीं है।
भाजपा के ही एक सांसद डा. सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि मोदी सरकार को चार काम करने चाहिए। पहला, आज तक मोदी और शी जिनपिंग के बीच हुई 18 मुलाकातों के व्हाइट पेपर प्रकाशित होने चाहिए। दूसरा, देश के प्रधानमंत्री की अपनी टिप्पणी कि 'कोई आया नहीं कोई गया नहीं' को वापस लेना चाहिए। तीसरा, भारत द्वारा चीन को आक्रामक घोषित करते हुए जवाबी कार्रवाई की धमकी देनी चाहिए और चौथा, फेक आईडी ट्विटर ग्रुप की जांच की जानी चाहिए। वैसे भी सरकार द्वारा बार-बार कहा जा रहा है कि भारत और चीन की सेना ने आपसी सहमति से पीछे हटना शुरू कर दिया है, पर खबर यह भी है कि चीनी सेना ने देपसॉन्ग में रोड़ बनाना शुरू कर दिए हैं। खबर है कि भारत और चीन ने गोगरा में करीब 15 महीनों तक तनाव की स्थिति में रहने के बाद एक साथ पीछे हटने पर रजामंदी जताई है और दोनों तरफ की सेनाओं ने अपने अस्थायी ढांचे को गिरा दिया है तथा रजामंदी से नो पेट्रोलिंग जोन भी बनाया है। पर देपसांग में विवाद जस का तस कायम है। देपसांग और डेमचोक इलाके में भारतीय सीमा में अभी भी चीन ने अपने तंबुओं को हटाने की चर्चा को खारिज कर दिया है। देपसांग का इलाका दौलत बेग ओल्डी से काराकोरम दर्रा की तरफ है, जबकि चीन ने भारतीय सीमा के 18 किलोमीटर तक अपने तंबू लगाए हुए हैं। सेना का कहना है कि चीन के साथ देपसांग तथा डैमचौक को लेकर चर्चा तेज की जाएगी और जल्द ही इस विवाद को भी सुलझा लिया जाएगा।
कर्नल (रि.) मनीष धीमान
स्वतंत्र लेखक


Next Story