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- क्या दंगे प्रायोजित...
यह सवाल फिजूल या निर्मूल नहीं है। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक अंग्रेजी अख़बार में लेख लिखकर सांप्रदायिक टकराव को नफरत और विभाजन का वायरस करार दिया है। उनका आरोप है कि यह वायरस फैलाया जा रहा है। जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है या पार्टी साझा सरकार में है, उनके संदर्भ में पूछा जाए कि वहां सांप्रदायिक ज़हर का वायरस कौन फैला रहा है? आम आदमी पार्टी निर्बाध रूप से भाजपा को गुंडों और दंगेबाजों की पार्टी आरोपित कर रही है। देश में नगण्य हो रहे वामपंथी दलों ने इन दंगों को आरएसएस के 'हिंदू राष्ट्र' के एजेंडे का हिस्सा माना है। विपक्ष के एक दर्जन से ज्यादा दलों ने 'शांति की अपील' वाला साझा बयान तो जारी किया, लेकिन उनके निशाने पर भी भाजपा रही। कोई भी विपक्षी दल आरोपित चेहरों और संगठनों पर टिप्पणी तक नहीं कर सका। हमारी समझ में नहीं आता कि देश भर में तनाव और रंजिश का माहौल क्यों है? सामाजिक सद्भाव बिखरता क्यों जा रहा है? कई क्षेत्र जल रहे हैं, लोग मारे जा रहे हैं। वहां सांप्रदायिक टकराव उफान पर है। मज़हबी सह-अस्तित्व मानो समाप्त होता जा रहा है! यह दुर्भाग्य और विडंबना ही है कि देश के सामने कई महत्त्वपूर्ण मुद्दे हैं, कोरोना वायरस एक बार फिर आंखें तरेर कर भयभीत और चिंतित कर रहा है, आर्थिक विषमताएं और विसंगतियां हैं, लेकिन दंगों के विश्लेषण करने पड़ रहे हैं। चूंकि सांप्रदायिक सौहार्द्र और देश की चिंता प्राथमिक विषय हैं, लिहाजा दंगों के कारणों को खंगालने की कोशिश की जा रही है कि आखिर दंगे या नफरती हिंसा क्यों भड़क रही है?
क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचल