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![कुम्भ, कोरोना और चुनाव कुम्भ, कोरोना और चुनाव](https://jantaserishta.com/h-upload/2021/04/18/1021655-qq.webp)
आदित्य चोपड़ा। सर्वप्रथम यह समझा जाना चाहिए कि ''धर्म से मनुष्य नहीं है बल्कि मनुष्य से धर्म है"। धर्म का स्थूल अर्थ आडम्बर और रस्मो-रिवाज से ले लिया जाता है जबकि मूल अर्थ व्यक्ति के नैतिक व सांसारिक विकास से है। अतः यह कथन कि 'धारयति सः धर्मः' देशकाल और परिस्थितियों के अनुसार आचरण करने की नसीहत देता है। आज भारत में विकट स्थिति बनी हुई है जिसमें एक तरफ हरिद्वार में महाकुंभ चल रहा है और दूसरी तरफ प. बंगाल में चुनाव हो रहे हैं जबकि तीसरी तरफ कोरोना संक्रमण समूची मानवजाति को निगलने के लिए तैयार सा बैठा है। हमें इन परिस्थितियों में अपने धर्म का पालन करना होगा और सबसे पहले धर्म को मानने वाले मनुष्यों को ही बचाना होगा। जिनका धर्म राजनीति है उनका भी यह प्रथम कर्त्तव्य बनता है कि जिन लोगों के कल्याण के लिए राजनीति को खोजा गया वे भी सबसे पहले उन्हें बचायें और धर्मचार्यों का भी यह कर्त्तव्य बनता है कि वे भी समय के अनुरूप धर्म की व्याख्या करें। प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी की अपील पर संतों ने कुम्भ का समापन कर दिया है।