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- सही साबित हुई आशंका:...
भूपेंद्र सिंह| जैसी आशंका थी, वैसा ही हुआ। संसद के मानसून सत्र की शुरुआत हंगामे से हुई और हंगामा भी ऐसा कि दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। इसका अंदेशा पहले से था कि विपक्ष हंगामा करेगा, लेकिन यह आभास नहीं था कि वह प्रधानमंत्री को अपने नए मंत्रियों का परिचय कराने का भी अवसर नहीं देगा। विपक्ष की ओर से उठाए गए मुद्दों की महत्ता से इन्कार नहीं, लेकिन प्रधानमंत्री को अपने मंत्रियों को सदन से परिचित कराने का अवसर दिया जाना चाहिए था, क्योंकि यह एक परंपरा है और संसद को अपनी परंपराओं के पालन के प्रति प्रतिबद्ध रहना चाहिए। दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ। यदि इस परंपरा के निर्वहन के बाद विपक्ष अपनी बात कहता तो कोई देर या अंधेर होने वाली नहीं थी। विपक्ष ने हंगामा करने के लिए महंगाई, किसान आंदोलन आदि के अलावा जासूसी प्रकरण का भी सहारा लिया। यह मानने के अच्छे-भले कारण हैं कि यह मसला खासतौर पर विपक्ष को हंगामा करने के लिए उपलब्ध कराया गया। इसकी सुगबुगाहट दो-तीन दिनों से जारी थी कि संसद का मानसून सत्र शुरू होते ही मीडिया के एक हिस्से में ऐसा कुछ आएगा, जिससे विपक्ष को हंगामा करने में आसानी होगी। अंतत: ऐसा ही हुआ। इस आशय की खबरें आईं कि एनएसओ नामक एक इजरायली कंपनी के पेगासस स्पाईवेयर के जरिये कुछ चुनिंदा लोगों की जासूसी की कोशिश की गई।