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- अनुराग का सियासी...
Divyahimachal .
हिमाचल के अलावा अन्य राज्यों से संबंधित मंत्री भी आशीर्वाद यात्राओं से गुजरे और यह भाजपा का भीड़तंत्र है। जाहिर है हिमाचल भी भीड़तंत्र में फंसा है और एक शासक वर्ग यहां भी पनप चुका है। राजनीतिक दलों के कोनों पर वही धकेले जाते हैं, जिनके न सियासी परिवार और न ही जातीय समीकरण लाभकारी दिखाई देते हैं। ऐसे में जातीय मतगणना से हिमाचल के भी कई भ्रम टूट सकते हैं। खासतौर पर जिस जातीय बादशाहत में मुख्यमंत्री का पद सुनिश्चित करने की अब एक परंपरा बन चुकी है, उसके परिप्रेक्ष्य में नेताओं के शिविर स्पष्ट हैं और यह दोनों दलों के भीतर एक समान है। कांगड़ा के ज्वालामुखी विधानसभा का प्रतिनिधित्व ओबीसी वर्ग की पहचान को खुर्द-बुर्द करने के पीछे काफी हद तक जातीय गठबंधन का राज्य स्तरीय पैमाना ही तो है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने विभिन्न सामाजिक बोर्डों के माध्यम से जातीय समीकरणों को उच्च प्राथमिकता दी, लेकिन यह परंपरा वर्तमान सरकार में नथुने फुला कर बैठी है।