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पटना से नरेन ने मुझे मुंबई के पते पर ‘पूंजीवाद की प्रेत-कथा’ भेजी
Hemant
यह 2017 की घटना है. पटना से नरेन ने मुझे मुंबई के पते पर 'पूंजीवाद की प्रेत-कथा' भेजी. मैंने उनसे फोन पर सम्पर्क किया. कहा – "'व्हाट्सएप' पर हिंदी में 'एंटिला कथा' भेज रहा हूं. इसे झारखंड के आदिवासी-गैरआदिवासी पत्रकार-लेखकों को भेज दें. कम से कम रोज दी (रोज केरकेट्टा), वंदना, निर्मला पुतुल, महादेव टोप्पो, मेघनाथ, घनश्याम और अनुज लुगुन को भेज दें. उन्हें यह भी बता दें कि यह मेरा लिखा नहीं, मेरी प्रस्तुति है. मूल लेख अंग्रेजी में है – बहुत लम्बा है. इसकी 'ऑथर' हैं – अरुंधती रॉय! वह महज 'राइटर' नहीं. उसका आपका भेजा हिंदी अनुवाद पढ़कर मेरा गूंगा मन 'कहानी' बुनने लगा! सो मैंने इस प्रस्तुति के अंत में उसे भी नत्थी कर दिया है."
जब नरेन का अनुवाद मिला, मैं मुंबई के ग्रांट रोड स्टेशन के पास स्थित छः मंजिली चाल 'गणेश प्रासाद' (प्रसाद नहीं प्रासाद यानी राज-महल) की खुली छत पर जा खड़ा हुआ था. यह संयोग ही था कि रोज की तरह शाम को बिजली कटी हुई थी, सो छत पर आ गया. छत पर पहुंचा, तो पूरे ग्रांट रोड के मोहल्ले की बत्ती गुल दिखी, लेकिन दूर अल्टामॉंन्ट रोड पर 'एंटिला' जगमगाता दिखा. और मैं अरुंधती रॉय की आँखों से उसे देखने लगा…!
"यह मकान है या घर? नये भारत का मंदिर है या उसके प्रेतों का डेरा? जब से मुम्बई में अल्टामॉंन्ट रोड पर रहस्य और बेआवाज सरदर्द फैलाते हुए एंटिला का पदार्पण हुआ है, चीजें पहले जैसी नहीं रहीं.
एंटिला भारत के सबसे अमीर आदमी मुकेश अंबानी का है. आज तक के सबसे महंगा यह आशियाना! सत्ताईस मंजिलें, तीन हेलीपैड, नौ लिफ्टें, हैंगिंग गार्डन्स, बॉलरूम्स, वेदर रूम्स, जिम्नेजियम, छह मंजिला पार्किंग, और छह सौ नौकर-चाकर. आड़े खड़े लॉन की तो मुझे अपेक्षा ही नहीं थी – 27 मंजिल की ऊंचाई तक चढ़ती घास की दीवार, एक विशाल धातु के ग्रिड से जुड़ी हुई. घास के कुछ सूखे टुकड़े थे; कुछ आयताकार चकत्तियां टूटकर गिरी हुई भी थीं. जाहिर है, 'ट्रिकल डाउन' (समृद्धि के बूंद-बूंद रिस कर निम्न वर्ग तक पहुंचने का सिद्धांत) ने काम नहीं किया था. मगर 'गश-अप' (ऊपर की ओर उबल पर पहुंचने का काम) जरूर हुआ है. इसीलिए 120 करोड़ लोगों के देश में, भारत के 100 सबसे अमीर व्यक्तियों के पास सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के एक चौथाई के बराबर संपत्ति है.
राह चलतों में (और न्यूयार्क टाइम्स में भी) चर्चा का विषय है, या कम-अज-कम था, कि इतनी मशक्कत और बागवानी के बाद अंबानी परिवार एंटिला में नहीं रहता.
पक्की खबर किसी को नहीं. लोग अब भी भूतों और अपशकुन, वास्तु और फेंगशुई के बारे में कानाफूसियां करते हैं. या शायद ये सब कार्ल मार्क्स की गलती है. उन्होंने कहा था, पूंजीवाद ने 'अपने जादू से उत्पादन के और विनिमय के ऐसे भीमकाय साधन खड़े कर दिए हैं, कि उसकी हालत उस जादूगर जैसी हो गई है जो उन पाताल की शक्तियों को काबू करने में सक्षम नहीं रहा है, जिन्हें उसी ने अपने टोने से बुलाया था. 'भारत में, हम 30 करोड़ लोग जो नए, उत्तर-आइएमएफ (अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) 'आर्थिक सुधार' मध्य वर्ग का हिस्सा हैं, उनके लिए – बाजार– पातालवासी आत्माओं, मृत नदियों के सूखे कुओं, गंजे पहाड़ों और निरावृत वनों के कोलाहलकारी पिशाच साथ-साथ रहते हैं : कर्ज में डूबे ढाई लाख किसानों के भूतों जिन्होंने खुद अपनी जान ले ली थी, और वे 80 करोड़ जिन्हें हमारे लिए रास्ता बनाने हेतु और गरीब किया गया और निकाला गया के साथ-साथ रहते हैं जो बीस रुपए प्रति दिन से कम में गुजारा करते हैं.
मुकेश अंबानी व्यक्तिगत तौर पर 2,000 करोड़ डॉलर (यहां तात्पर्य अमेरिकी से), जो मोटे तौर पर 10 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा ही होता है, के मालिक हैं. रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआइएल), 4,700 करोड़ डॉलर (रु. 23,5000 करोड़) की मार्केट कैपिटलाइजेशन वाली और वैश्विक व्यवसायिक हितों, जिनमें पेट्रोकेमिकल्स, तेल, प्राकृतिक गैस, पॉलीस्टर धागा, विशेष आर्थिक क्षेत्र, फ्रेश फूड रीटेल, हाई स्कूल, जैविक विज्ञान अनुसंधान, और मूल कोशिका संचयन सेवाओं (स्टेम सैल स्टोरेज सर्विसेज) शामिल हैं, में वे बहुतांश नियंत्रक हिस्सा रखते हैं. आरआइएल ने हाल ही में इंफोटेल के 95 प्रतिशत शेयर खरीदे हैं.

Rani Sahu
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