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इसलिए भारतीय बाजार में दवा का बेसब्री से इंतजार हो रहा है
पंकज कुमार। सुष्मित सिन्हा। डीआरडीओ एंटीकोविड ड्रग (DRDO Anti Covid Drug) (डीआरडीओ 2 जी मेडिसीन) बाजार में चार सप्ताह के भीतर डॉ. रेड्डीज लैब की मदद से आने की उम्मीद है. डॉ. रेड्डीज लैब डीआरडीओ का इंडस्ट्रीयल पार्टनर है बाजार में मास प्रोडक्शन कर दवा लाने की जिम्मेदारी डॉ रेड्डीज लैब की ही है. डीआरडीओ एंटीकोविड ड्रग, महामारी से निजात दिलाने में किस हद तक कारगर होता है इस पर लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं. इसलिए भारतीय बाजार में दवा का बेसब्री से इंतजार हो रहा है.
दरअसल दवा से बीमारी का उपचार होता है, वहीं वैक्सीन से शरीर में प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है. डीआरडीओ 2-डीजी दवा को लेकर दावा किया जा रहा है कि संक्रमित सेल में घुसकर यह दवा वायरस के निर्माण और उसके प्रोटीन को छिन्न-भिन्न कर उसे निष्क्रिय बना देता है. वायरस के मल्टीप्लाई करने की क्षमता और उसकी एनर्जी को छिन्न-भिन्न करने का मतलब है कि संक्रमित कोशिका वायरस के प्रकोप से पूरी तरह से आजाद हो जाता है.
कैसे काम करती है दवा
दावा किया गया है कि डीआरडीओ 2 जी ड्रग फेफड़े में जाकर वायरस के संक्रमण को रोकता है. इसलिए पेशेंट को ऑक्सीजन की निर्भरता से आजादी दिलाने में दवा पूरी तरह कारगर है. वैज्ञानिकों के मुताबिक डीआरडीओ एंटीकोविड ड्रग 2जी की खास विशेषता यह है कि दवा संक्रमित और सामान्य कोशिकाओं में आसानी से भेद कर संक्रमित कोशिकाओं को ही निशाना बनाता है. इसलिए दवा की विशेष गुणवत्ता वायरस द्वारा संक्रमित कोशिकाओं को पहचान कर टार्गेट करने की है. वैसे ध्यान देने वाली बात यह है कि दवा शरीर में ग्लुकोज की तरह ही प्रवाहित होकर अपना काम करती है.
डीआरडीओ 2जी ड्रग की प्रोजेक्ट डायरेक्टर और वैज्ञानिक डॉ सुधीर चांदना ने एक वेबसाइट एमपीएनआरसी को दिए इंटरव्यू में बताया है कि दवा की गुणवत्ता मॉडरेट और सीवियर पेशेंट में जांची गई है. डॉ सुधीर के मुताबिक फेज 2 ट्रायल में रिकवरी रेट पेशेंट में कहीं ज्यादा पाया गया, वहीं फेज 3 ट्रायल में ऑक्सीन पर निर्भरता कम होती देखी गई है. डॉ चांदना के मुताबिक दवा की परख हॉस्पिटल में एडमिट पेशेंट पर की गई वो कोरोना मुक्त हुए और उनमें कोई साइड इफेक्ट्स नहीं देखा गया है. इसलिए दवा कोरोना के सर्ज और उससे हो रही मौत को रोकने में असरदायक होगा.
दवा के रॉ मैटेरियल से लेकर कीमत और गुणवत्ता पर डीआरडीओ ने क्या कहा
2 जी ड्रग जेनरिक मॉलीक्यूल (Molecule) है और ग्लूकोज की तरह ही इस मॉलीक्यूल की बनावट है. इसलिए इसे ग्लूकोज का एनालॉग कहा गया है. पाउडर फॉर्म में उपलब्ध यह दवा काफी कम समय में बड़े पैमाने पर तैयार की जा सकती है ताकी भारत जैसे देश की जरूरतों को जल्द से जल्द पूरा किया जा सके. डीआरडीओ के मुताबिक 2 जी ड्रग दिए जाने के बाद आरटीपीसीआर टेस्ट जल्द ही निगेटिव आ जाता है. डीआरडीओ ने दावा किया कि दवा के लिए जरूरत पड़ने वाले रॉ मैटेरियल को इम्पोर्ट करने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी. वैसे डॉ. सुधीर चांदना ने एमपीएनआरसी वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में दवा की कीमत 500 से 600 रूपये तक होने की बात कही है और कहा है कि सरकार दवा पर सब्सिडी भी दे सकती है.
माहमारी को खत्म करने का दावा
डीआरडीओ चीफ डॉ. सतीश रेड्डी ने भी मीडिया को बताया है कि इंडस्ट्रीयल पार्टनर डॉ रेड्डी लैब को इमरजेंसी यूज के परमिशन के बाद फुल प्रोडक्शन का सिग्नल दे दिया गया है. जाहिर है वैज्ञानिकों को भरोसा है कि डीआरडीओ 2 जी ड्रग माहमारी को खत्म करने में कामयाब होगी. इतना ही नहीं वैज्ञानिक दवा की सेफ्टी को लेकर भी पूरी तरह आश्वस्त हैं. ज़ाहिर है संक्रमित कोशिकाओं में वायरस के संरचना और उसके मल्टीप्लिकेशन को रोकने में यह डीआरडीओ की दवा कारगर होती है तो दुनिया के लिए यह वरदान साबित होगा. ध्यान रहे इनमास (INMAS) डीआरडीओ की ही प्रयोगशाला है जो डॉ रेड्डीज लैब के साथ मिलकर डीआरडीओ 2 डीजी दवा को डेवलप करने में तन्मयता से लगा हुआ था.
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