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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ पिछले साल हुआ जोरदार विरोध आंदोलन मार्च में कोरोना महामारी की मार की वजह से दब गया था। लेकिन उस पर लोगों के मन में मौजूद विरोध खत्म नहीं हुआ, इसकी झलक अब मिलने लगी है। ये कानून संसद में 11 दिसंबर 2019 को पास हुआ था। उसकी सालगिरह पर इस बार कोलकाता और दिल्ली समेत कई जगहों पर विरोध जताने की खबरें आईं। लेकिन जहां ये आग ज्यादा सुलगती दिख रही है, वह उत्तर पूर्व का इलाका है। इसे देखते हुए कहा जाने लगा हैकि असम में अगले साल होने वाले विधान सभा चुनाव में यह एक बड़ा मुद्दा होगा। असम में बीते साल यह आंदोलन हिंसक हो उठा था। तब पुलिस की फायरिंग में पांच युवकों की मौत हो गई थी। उसी घटना की बरसी के मौके पर इस आंदोलन को वहां नए सिरे से शुरू किया गया। आंदोलन की शुरुआत काला दिवस मनाने के साथ हुई। नार्थ ईस्ट स्टूडेंट्स आर्गनाइजेशन (नेसो) की अपील पर 18 संगठनों ने पूर्वोत्तर में काला दिवस मनाया।