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- ब्रिटेन को दिया जवाब:...
यह अच्छा हुआ कि भारतीय संसद ने ब्रिटेन की संसद को उसी की भाषा में जवाब दिया। ब्रिटेन इसे भारत की जवाबी कार्रवाई के रूप में देखे तो और भी अच्छा, क्योंकि उसने अपनी संसद में भारत के कृषि कानूनों पर चर्चा कराकर अपनी औपनिवेशिक मानसिकता का ही परिचय दिया था। भले ही इसके लिए उस नियम की आड़ ली गई हो, जिसके तहत यदि किसी मसले पर बहस कराने के लिए एक लाख लोग हस्ताक्षर कर दें तो फिर ब्रिटिश संसद के लिए ऐसा करना आवश्यक हो जाता है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि इस बहाने दूसरे देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप किया जाए। ब्रिटिश संसद ने न केवल यही किया, बल्कि इस दौरान भारत को बेवजह कठघरे में खड़ा करने और उपदेश देने की भी कोशिश की। चूंकि ब्रिटिश सरकार ने ऐसा करने वालों को हतोत्साहित करने की कोई कोशिश नहीं की, इसलिए यह आवश्यक हो जाता था कि समय आने पर उसे आईना दिखाया जाए। गत दिवस यह समय तब आया, जब राज्यसभा में ब्रिटेन में नस्लभेद का मसला उठा।